
जेटली ने कहा कि कंपोजिशन स्कीम की सीमा एक करोड़ रुपये किए जाने से ज्यादातर छोटे व्यापारियों को फायदा होगा। अगर वे ट्रेडिंग करते हैं तो एक फीसदी, मैन्युफैक्चरिंग में हैं तो दो फीसदी और रेस्तरां चलाते हैं तो पांच फीसदी का टैक्स देकर चैन से अपना धंधा चला सकते हैं।
साथ ही, डेढ़ करोड़ तक टर्नओवर वालों को तिमाही रिटर्न से छूट देने से उन पर कंप्लायंस का बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि रिवर्स चार्ज से भ्रम फैल रहा था, इसलिए इसे 31 मार्च, 2018 तक स्थगित कर दिया गया है। ई-वे बिल के बारे में कहा कि इस पर अगले साल एक अप्रैल से अमल किया जाएगा।
इसके अलावा डीजल इंजन और पंप के पुर्जों पर 28 से घटाकर 18 फीसदी, क्लिप और पिन जैसी स्टेशनरी वस्तुओं पर 28 से 18 फीसदी, गैरब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 से पांच फीसदी और ई-वेस्ट पर 28 से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है।
एसी रेस्तरां में सस्ता होगा खाना
जेटली ने बताया कि बैठक में एसी रेस्तराओं पर टैक्स की दरें कम करने का सवाल भी उठाया गया। इसके मद्देनजर, इन पर 18 फीसदी के बजाय 12 फीसदी की जीएसटी दर लागू करने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। इसे लागू करने के तरीके पर विचार करने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन कर दिया गया है जो 20 दिन में अपनी रिपोर्ट देगा। लेकिन अगर दरें कम की गईं तो उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है।
जॉब वर्क वालों को राहत
जॉब वर्क करने वालों को राहत देते हुए सरकार ने जीएसटी की दरें 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया है। 
जीओएम करेगा विचार
– जेटली ने कहा कि बैठक में कई ऐसे सवाल उठाए गए जिन पर मंत्रियों का समूह विचार करेगा। ये सवाल हैं:
– क्या कंपोजिशन के टर्नओवर में बिना टैक्स वाली वस्तुओं की बिक्री शामिल होगी
– क्या कंपोजिशन स्कीम में एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यापार की अनुमति होगी
– क्या कंपोजिशन में मैन्युफैक्चरिंग पर दो फीसदी टैक्स लगेगा तो उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट भी इसी दर पर मिलेगा
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