देहरादून: विकासनगर के दो साल पूर्व हुए नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के दोषी युवक को विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने साढ़े दस साल की सजा सुनाई है। पीड़िता यहां अपने नाना के घर रहती थी और घटना के दिन ट्यूशन पढ़कर घर वापस लौट रही थी। विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने अदालत को बताया कि विकासनगर क्षेत्र की एक किशोरी 13 नवंबर 2015 की सुबह घर से ट्यूशन पढ़ने के लिए निकली। ट्यूशन पढ़कर वह साढ़े नौ बजे के करीब घर लौट रही थी। इस दौरान अपने खेत में पानी डाल रहे इशरत अली (26) पुत्र मतलूब नवाबगढ़ की नजर उस पर पड़ गई।
इशरत ने बाइक से छात्रा का पीछा किया और उसे पकड़ कर पास के एक गन्ने खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान छात्रा ने खुद को बचाने के लिए इशरत से संघर्ष भी किया। उसके बाल तक उखाड़े, लेकिन उसके चंगुल से छूट नहीं पाई। दुष्कर्म के बाद इशरत ने उसे धमकी दी कि यदि उसने यह बात किसी को बताई तो उसे और उसके परिवार वालों को जान से मार देगा। किसी तरह अपने घर पहुंची छात्रा ने नाना-नानी को आपबीती बताई, जिसके बाद परिजन उसे लेकर विकासनगर कोतवाली पहुंचे।
यहां दुष्कर्म और एससीएसटी एक्ट व जान से मारने की धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के बाद वारदात की शाम को ही इशरत को गिरफ्तार कर लिया गया। मेडिकल रिपोर्ट में भी इशरत के शरीर पर खंरोचें मिली थीं, जिससे यह साबित हो गया कि छात्रा के साथ उसका संघर्ष हुआ था। सुनवाई के दौरान घटनास्थल से मिले बाल का जब इशरत के डीएनए से मिलान कराया गया तो दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इससे भी इशरत द्वारा दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि हो गई। वहीं सुनवाई के दौरान छात्रा ने इशरत को पहचाना भी।
अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से तीन गवाह पेश किए गए। मामले में अदालत ने पोक्सो एक्ट में सात साल, एससीएसटी एक्ट में तीन साल और जान से मारने की धमकी देने की धारा में छह माह की सजा सुनाई है। सभी सजा अलग-अलग चलेंगी। अदालत ने दोषी पर 41 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें 25 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे।