लखनऊ। गीता हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ है, वेदों के चार भाग हैं- ऋग, यजु, साम और अथर्व। अभी तक आपने गीता किताबो में पढ़ा होगा लेकिन चावल के दाने पर नहीं देखा होगा। ये कोई काल्पनिक नहीं बल्कि सच है कि चावल के दाने पर भगवद गीता लिखी है जो बहुत अध्भुत कलात्मक हैं। चावल के दानों पर भगवद गीता लिखी है, ये 4,042 चावल के दानों पर 18 अध्यायों में 700 श्लोक लिखे हैं। कुल 36,378 वर्णों के साथ 9,839 शब्द लिखने के लिए 150 घंटे।
चावल के दानो पर अध्भुत कला, 150 घंटे में लिख दिया भगवद गीता-
श्रीमद-भागवतम गीता के अध्याय 18 में आश्चर्यजनक रूप से बताया है कि मानव जाति को आज के समाज में कैसे जीवन व्यतीत करना चाहिए और इस तथ्य के परिणामस्वरूप नहीं रहना चाहिए कि भगवान श्रीकृष्ण के रूप में पृथ्वी पर आए और धर्म की रक्षा के लिए लड़े। जानकारी के मुताबिक, लिपुरा डिवीजन पटेल नगर, एक सूक्ष्म कलाकार रामगिरी स्वारिका ने चावल के दानों पर 700 श्लोक लिखे हैं और दानों पर पत्र लिखे हैं।
भारत में पहली युवा महिला को सूक्ष्म कलाकार-
भारत में पहली युवा महिला को सूक्ष्म कलाकार के रूप में मान्यता दी गई। इस अध्भुत कला को दर्शाने वाली युवा महिला का नाम है रामगिरी स्वरिका (माइक्रो आर्टिस्ट)। वह एलएलबी के अपने अंतिम वर्ष में है। तीन साल पहले उसे चावल के दाने पर अंग्रेजी वर्णमाला लिखने के लिए सर्वश्रेष्ठ मास्टरपीस के रूप में इंटरनेशनल वंडर बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मान्यता दी गई थी।
चावल के दानो पर अध्भुत कला, 150 घंटे में लिख दिया भगवद गीता-

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
पिछले साल, नॉर्थ दिल्ली कल्चरल एसोसिएशन ने स्वरा को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। एक हजार थंबनेल पर ड्राइंग का अनुभव है। हम चाहते हैं कि भगवान कृष्ण का आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहे, ताकि भविष्य में कला के अधिक महान कार्य किए जा सकें और प्रतिष्ठित सम्मान और अच्छे कार्य प्राप्त हो सकें।
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