नई दिल्ली : शेल अर्थात फर्जी कंपनियों पर की गई कार्रवाई के तहत 11 लाख सक्रिय भारतीय कंपनियों में से एक तिहाई से अधिक कंपनियां डी-रजिस्टर्ड हो सकती हैं, क्योंकि उन्होंने तीन वित्तीय वर्षों के लिए अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है. चार लाख कंपनियों को नोटिस भेजा जा चुका है.
प्रधानमंत्री आवास योजना गरीब, मिडिल क्लास दोनों का सपना करेगी साकार उल्लेखनीय है कि इन कंपनियों ने तीन वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 में तथा 2015-16 के वित्तीय वर्ष के लिए भी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रिटर्न दाखिल नहीं किया है. हालांकि, इस वर्ष रिटर्न दाखिल करने कीअवधि अभी समाप्त नहीं हुई है. ऐसी फर्जी कंपनियों पर  कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कंपनियों को रिटर्न दाखिल करने के लिए 30 दिनों का समय दिया जा रहा है. इसके बाद भी ऐसा नहीं कर पाने वाली कंपनियों के नामों को सरकार छीन सकती है.
उल्लेखनीय है कि इन कंपनियों ने तीन वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 में तथा 2015-16 के वित्तीय वर्ष के लिए भी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रिटर्न दाखिल नहीं किया है. हालांकि, इस वर्ष रिटर्न दाखिल करने कीअवधि अभी समाप्त नहीं हुई है. ऐसी फर्जी कंपनियों पर  कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कंपनियों को रिटर्न दाखिल करने के लिए 30 दिनों का समय दिया जा रहा है. इसके बाद भी ऐसा नहीं कर पाने वाली कंपनियों के नामों को सरकार छीन सकती है.
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बता दें कि कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (एमसीए) उनके नाम सार्वजनिक कर देगा. कंपनियों और उनके निदेशकों की जानकारी आयकर विभाग, बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ भी साझा होगी . बता दें कि मार्च 2015 के अंत में 14.6 लाख कंपनियां थीं, लेकिन सिर्फ 10.2 लाख कंपनियों को ही सक्रिय माना गया था. इनमें से सिर्फ 214 को निष्क्रिय रूप में वर्गीकृत किया गया था. कंपनी अधिनियम से कंपनियों को निष्क्रिय होने का अधिकार मिला है, लेकिन बहुत कम कंपनियां ही खुद इस विकल्प को चुनती हैं.
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