ग्वालियर सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ प्रियदर्शनी राजे को उतार सकती है कांग्रेस

ग्वालियर सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ प्रियदर्शनी राजे को उतार सकती है कांग्रेस

इन दिनों ग्वालियर में चुनावी चर्चा चरम पर चल रही है. राजनीतिक गलियारों में सियासी असमंजस की स्थिति नजर आ रही है. कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं. क्या ग्वालियर सीट पर 1984 का चुनावी इतिहास दोहराया जाएगा? क्या कांग्रेस आखिर वक्त में सिंधिया राजवंश से प्रियदर्शनी को उतारेगी मैदान में? ज्ञात हो कि 1984 में अटल बिहारी वाजपेयी के सामने आखिरी लम्हों में राजीव गांधी ने माधवराव सिंधिया से पर्चा भरवाया था. वाजपेयी के पास दूसरी सीट का विकल्प नहीं था. इस चुनाव में वाजपेयी को पौने दो लाख वोट से अटल जी को शिकस्त मिली थी.ग्वालियर सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ प्रियदर्शनी राजे को उतार सकती है कांग्रेस

कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस एन वक्त पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी को उतार सकती है. तोमर खेमें में भी इस बात को लेकर फिक्र है. 1984 जैसे हालात से निबटने के लिए विकल्प के तौर पर तोमर भी ग्वालियर के बजाए भोपाल या मुरैना से लड़ने कोशिश कर चुके हैं.

विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में जोरदार कामयाबी हासिल करने वाली कांग्रेस अब लोकसभा में भी बेहतर नतीजों की उम्मीद से उत्साहित है. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस बीते 12 साल से वनवास भोग रही है. 2007 से ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर से मौजूदा बीजेपी सांसद हैं. इस बार ग्वालियर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि एन वक्त पर कांग्रेस यहां से प्रियदर्शनी राजे को तरुप के इक्के की तरह मैदान में उतार सकती है.

ग्वालियर में कांग्रेस की टीम भी लगातार कोशिशों में जुटी है कि इस बार महारानी यानी प्रियदर्शनी राजे मैदान में उतरे. कांग्रेस नेतृत्व भी महारानी को मजबूत उम्मीदवार मानता है. प्रियदर्शनी राजे की ग्वालियर अंचल में लगातार सक्रियता से बीजेपी भी बैचेन है. बीजेपी सांसद नरेंद्र सिंह तोमर भी आलाकमान के सामने ग्वालियर सीट बदलने की मंशा जाहिर कर चुके हैं, लेकिन ग्वालियर का मजबूत किला बरकरार रखने के लिए पार्टी ने तोमर को ग्वालियर में ही बने रहने का निर्देश दिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि हम लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को ग्वालियर से टिकट दिया जाये. उनके आने से कांग्रेस का इस सीट से वनवास तो खत्म होगा ही. साथ ही कार्यकर्तायों मे भी नए जोश का संचार होगा. उधर, बीजेपी की प्रदेश सचिव सुमन शर्मा का दावा है कि प्रियदर्शनी राजे सिर्फ सिंधिया के प्रचार तक सीमित रही है. वह केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रचार करती है. इसके अलावा कांग्रेस मे उनका कोई कद नहीं है. सियासत में प्रियदर्शनी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के सामने कहीं नही ठहरती है.

बीजेपी का दावा है कि चाहे महाराज आए या महारानी बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. ग्वालियर में इस बार भी कमल खिलेगा. पिछले तीन चुनावों में ग्वालियर सीट को बीजेपी ने 40 हजार से कम अंतर से जीता है, लेकिन उस दौर में बीजेपी के लिए विधानसभा की बढ़त, शिवराज लहर, मोदी लहर जैसे बेहतर हालात थे, लेकिन इस बार बीजेपी के सामने विधानसभा की हार, भीतरघात आदि मसले भारी चुनौति रहेंगे. ऐसे में अगर प्रियदर्शनी मैदान में आती है तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा. इसके लिए सबको टिकट की घोषणा होने तक इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन तब तक राजनीतिक चर्चा के बाजार गर्म बने रहेंगे.

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