सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक और गूगल पर यूरोप में उस समय दबाव बढ़ गया जब देशों ने सख्त नियमों का प्रस्ताव दिया. इन देशों का तर्क था कि इंटरनेट कंपनियों को आतंकवादी प्रोपैगेंडा और चाइल्ड पोर्न जैसी सामग्री ब्लॉक करने के लिए विवश किया जा सके. ब्रिटेन ने सोशल मीडिया के लिए अपनी तरह की पहली निगरानी संस्था बनाने का आह्वान किया जो अधिकारियों पर जुर्माना लगा सके और यहां तक कि कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सके.
संसदीय समिति ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी
यूरोपीय संघ संसदीय समिति ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी जिससे इंटरनेट कंपनियों को आतंकवाद से जुड़ी सामग्री हटाने या जुर्माने का सामना करने का प्रावधान है. इन पर अरबों डॉलर/पाउंड तक का जुर्माना लग सकता है.
ब्रिटेन के गृह सचिव साजिद जावेद ने कहा, ‘हम इन कंपनियों को हमेशा के लिए अपने काम को ठीक करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.’ ऑस्ट्रेलिया ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा ‘वीभत्स हिंसक सामग्री’ तुरंत नहीं हटाए जाने को अपराध बना दिया.
कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की प्रशंसा की
ब्रिटिश योजना से फेसबुक और टि्वटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को इन साइटों का इस्तेमाल करने वाले लोगों को ‘हानिकारक सामग्री’ से बचाने की जरूरत होगी. दूसरी ओर, कनाडा सरकार ने फेसबुक के कट्टर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की प्रशंसा की.
न्यूजीलैंड हमले के बाद फेसबुक ने नफरत फैलाने वाले ग्रुप की जांच के लिए नए कदम उठाए हैं. गौरतलब है कि फेसबुक ने फेथ गोल्डी, केविन गोउड्रयू समेत प्रमुख नागरिकों और कई अन्य समूहों को प्रतिबंधित कर दिया. इन सभी को श्वेत नस्लवादी बताया गया है.
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