ग्रहों में गुरु ग्रह को सबसे बड़ा और प्रभावशाली माना जाता है. अगर कुंडली में गुरु ग्रह (बृहस्पति) उच्च भाव में और मजबूत होता तो इंसान बहुत प्रगति करता है. उसे हर क्षेत्र में सफलता और तरक्की मिलती है.
बृहस्पति देवताओं के गुरु भी हैं. गुरु वैवाहिक जीवन व भाग्य का कारक ग्रह है. गुरु स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाते भी हैं और उनका निवारण भी करते हैं.
1. गुरु ग्रह के दोष कम करने के लिए गुरुवार का व्रत रखें, जिसमें पीले वस्त्र पहनें व बिना नमक का भोजन करें. भोजन में पीले रंग की चीजें जैसे बेसन के लड्डू, आम आदि शामिल करें.
2. गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित करें. इसके बाद पंचोपचार से पूजा करें. पूजन में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें और सच्चे मन से प्रभु की आरती करें.
3. गुरु मंत्र का जप करें. मंत्र- ‘ॐ बृं बृहस्पते नम:’. मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए.
4. गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान करें. पीली वस्तु जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (फल), केला आदि.
5.शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं.
इन उपायों से धन, संपत्ति, विवाह और भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो जाती हैं.