गुजरात में सरकार बनने के महज 3 दिन बाद ही मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के बीच अनबन की खबर आ रही है. साथ ही वहां के विधायक भी अपनी नाराजगी जताने लगे हैं.
लगातार छठी बार गुजरात में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार में शीर्ष दो नेताओं के बीच अनबन का सबसे अहम कारण विभागों के बंटवारे को लेकर माना जा रहा है.
रूपाणी की अगुवाई में सरकार के शपथ लेने के बाद से तनातनी की खबरें आ रही थीं. मुख्यमंत्री रूपाणी, उपमुख्यमंत्री पटेल और भाजपा अध्यक्ष जीतू वघानी विवाद को निपटाने के लिहाज से मुख्यमंत्री आवास पर बृहस्पतिवार को मिले. इस कारण पहली केबिनेट बैठक में लिए नएनवेले मंत्रियों को करीब 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ा.
उपमुख्यमंत्री पटेल विभागों के वितरण से खुश नहीं हैं . वह गृह और शहरी विकास मंत्रालय चाहते थे जो उन्हें नहीं मिला. साथ ही उनको 2 अहम विभाग राजस्व और वित्त विभाग भी नहीं दिए गए. विभागों के वितरण के मामले में माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा घाटा पटेल को ही हुआ है. पटेल को सड़क एवं भवन, हेल्थ एवं फैमिली, नर्मदा, कल्पसार, चिकित्सा और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली है.
मंत्रालय बंटवारे के बाद आज पहले दिन ही पटेल दफ्तर नहीं पहुंचे. 2012 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तब पटेल को ही वित्त मंत्रालय सौंपा गया था, लेकिन बाद में आंनदी बेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनसे यह मंत्रालय छीन लिया गया. इस बार रूपाणी ने शहरी विकास विभाग अपने पास रखा जबकि वित्त विभाग सौरभ पटेल को सौंप दिया गया.
विधायक भी हैं नाराज
सूत्र बताते हैं कि सरकार में अनबन की एक और खबर है. वडोदरा से विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी ने भी विरोध का झंडा बुलंद कर रखा है. उन्होंने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के सामने वडोदरा से एक भी विधायक को केबिनेट में शामिल नहीं करने जाने पर नाराजगी जताई. उन्होंने 10 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने की धमकी दे डाली.
ऐसा पहली बार हो रहा है कि भाजपा राज में विधायक खुलकर बगावत का झंडा बुलंद कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद से वहां स्थिति लगातार खराब हो रही है और अब तो उनके अपने विधायक बगावती तेवर दिखाने लगे हैं.
यह दिखाता है कि मोदी फिलहाल रूपाणी और पटेल के बीच जारी विवाद को थामने के लिए अपने स्तर पर कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं.
हाल ही में हुए गुजरात चुनाव में भाजपा का यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. पिछले 6 चुनावों में पहली बार उसे 100 से कम सीटें हासिल हुई हैं. अगर ऐसे ही विवाद बने रहे तो मोदी के लिए 2019 के आम चुनाव में यहां से राह आसान नहीं होगी.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal