खास बात तो ये है कि इसने अपनी पहचान छिपाने के लिए साल 2012 में प्लास्टिक सर्जरी करा ली थी। रोमिल बानिया ने आगे बताया कि आरोपी ने ऑटोलिफ्टिंग का काम अपना और अपनी गर्लफ्रेंड का खर्च उठाने के लिए शुरू किया था।
यह सुपरचोर ज्यादातर दक्षिणी दिल्ली, दक्षिण-पूर्व दिल्ली और फरीदाबाद के आसपास में चोरियां करता था।
हर 10 वारदात के बाद नाम व हुलिया बदल लेता था। पुलिस की मानें तो वह 1000 से ज्यादा आपराधिक वारदात खासकर वाहन चोरी की वारदात को अंजाम दे चुका है। कालकाजी थाना पुलिस ने इस सुपरचोर को उसके साथी के साथ दबोचा है। इस वाहन चोर की तुलना सुपरचोर बंटी से की जाती है। चोरी के वाहनों को मेरठ व मुजफ्फरनगर में बेचता था।
दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, गढ़ी, लाजपत नगर में कुणाल का जन्म हुआ था, तब पिता ने उसका नाम तनुज रखा था। शुरू में ये घरों में चोरी करने लगा।
इस दौरान इसकी दोस्ती एक युवती से हो गई और गर्लफ्रेंड के लिए अपराध के दलदल में फंसता चला गया। इसने अपना नाम बदलकर संजय रख लिया और बड़ी वारदात करने लगा। इसके बाद ये वाहन चोरी व लूटपाट करने लगा।
दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कालकाजी थानाध्यक्ष वेदप्रकाश की टीम ने कुणाल को उसके साथी गांव शिखरेडा, जिला मुजफ्फरनगर (यूपी) निवासी इरशाद अली के साथ कालकाजी इलाके से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने दोनों को रिमांड पर ले रखा है। कुणाल ने बताया कि वह एक महीने में वाहन चोरी की 40 से 50 वारदात करता था।
पुलिस कस्टडी से हो चुका है फरार
अमर कॉलोनी थाना पुलिस ने 14 सितंबर, 2013 को इसे गिरफ्तार किया था। इसने बताया कि वह चोरी की कार कैथल (हरियाणा) निवासी वीरेंद्र को देता है। पुलिस टीम इसे 15 सितंबर, 2013 को कैथल ले जा रही थी, तो उल्टी होने की बात कहकर गाड़ी से उतरा और पुलिसकर्मियों की आंखों में धूल डालकर फरार हो गया। इस समय अमर कॉलोनी थानाध्यक्ष व श्रीनिवासपुरी चौकी प्रभारी लाइन हाजिर हुए थे।
ईसीएम बदलकर वाहन चोरी करता था
आरोपी रात के समय पॉश कॉलोनियों में वाहन चोरी करता था। ये रात दो से ढाई बजे के बीच ही वारदात करता था। गाड़ी के साइड का शीशा तोड़कर उसकी ईसीएम बदल देता था। ड्रिल मशीन से स्टेयरिंग लॉक तोड़ देता था। इसके बाद ये कार को चुरा ले जाता था। चोरी के वाहनों को मेरठ व मुजफ्फरनगर में बेचता था।