लोटा थेरेपी का नाम सुनकर आप थोड़ा चौक जाएंगे। पीठ से कूल्हे तक हर तरह के सर्वाइकल पेन को इस थैरेपी से दूर करने का दावा किया जा रहा है। पिछले 24 सालों में इस के जरिये करीब एक लाख से ज्यादा मरीजों को ठीक भी किया गया है।
थैरेपी के दौरान लोटे में आग डालकर उसे एक खाली बोतल के ढक्कन की सहायता से शरीर पर उल्टा रखा जाता है और फिर नसों की सिकाई होती है। 15 से 20 मिनट के भीतर सात से आठ अलग अलग आकार के लोटों के साथ यह थैरेपी की जाती है।
विशेषज्ञों ने इसका नाम मर्म वैक्यूम थेरेपी रखा है। मर्म शब्द आयुर्वेद से लिया गया है। मुंबई में कई जगह इसे क्लिनिक भी खोले जा चुके हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन के परफेक्ट हेल्थ मेले में हर साल आने वाली विशेषज्ञ सुमन श्रीवास्तव ने शनिवार को बताया कि प्राचीन भारत में यह थैरेपी काफी प्रचलित थी।
विशेषज्ञों ने इसका नाम मर्म वैक्यूम थेरेपी रखा है। मर्म शब्द आयुर्वेद से लिया गया है। मुंबई में कई जगह इसे क्लिनिक भी खोले जा चुके हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन के परफेक्ट हेल्थ मेले में हर साल आने वाली विशेषज्ञ सुमन श्रीवास्तव ने शनिवार को बताया कि प्राचीन भारत में यह थैरेपी काफी प्रचलित थी।
वैक्युम जैसा करता है काम वैक्युम क्लीनर की तरह यह थैरेपी काम करती है। अगर किसी को सर्वाइकल दर्द है तो उसकी पीठ पर और अगर किसी को पेट संबंधी शिकायत है तो उसके पेट पर यह थैरेपी की जाती है। दावा है कि इस थैरेपी के जरिये शरीर की तमाम बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। ये नसों के अलावा शरीर के ब्लड सैल पर भी असर डालता है।
अब तक सामने नहीं आया दुष्प्रभाव सुमन श्रीवास्तव और उनकी टीम ने बताया कि अब तक किसी भी तरह का दुष्प्रभाव इस थैरेपी के जरिये सामने नहीं आया है। यूपी और हिमाचल तक जाती है टीम टीम के मुताबिक, मुंबई में इस थैरेपी को लेकर कई जगह पर क्लिनिक खोले जा चुके हैं। लेकिन देश के अन्य शहरों और राज्यों में भी उनकी टीम जाती है। यूपी, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अब तक ये टीम कई शिविर लगा चुकी हैं।