पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के मिशन के तहत बिहार में रेल नेटवर्क को बढ़ाया जा रहा है और बिजलीकरण किया जा रहा है. पीएम ने बताया कि 2014 से पहले के पांच साल में सिर्फ सवा तीन सौ किमी. रेल लाइन शुरू हुई, लेकिन 2014 के बाद के पांच साल में 700 किमी. रेल लाइन कमीशन हो चुकी है. अभी भी एक हजार किमी. नई रेल लाइन का निर्माण हो रहा है.
इसके अलावा पीएम मोदी ने समस्तीपुर रेलमंडल की कई योजनाओं का उद्घाटन किया और सुपौल से आसनपुर कुपहा डेमू ट्रेन के परिचालन को भी हरी झंडी दिखाई.
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की सौगात देनी शुरू कर दी है. इसी क्रम में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिथिलांचल को जोड़ने वाले कोसी रेल महासेतु का उदघाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यहां कहा कि रेल कनेक्टविटी के क्षेत्र में आज इतिहास रचा गया. इन प्रोजेक्ट्स से बिहार के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत के लोगों को इससे लाभ मिलेगा.
पीएम मोदी ने यहां संबोधन में कहा कि अटल जी की सरकार जाने के बाद इस प्रोजेक्ट की रफ्तार कम हो गई. अगर दूसरी सरकार को बिहार के लोगों की फिक्र होती और जो लोग तब रेल मंत्री थे उन्हें अगर चिंता होती तो काम पहले ही हो जाता. लेकिन वो ऐसा करना नहीं चाहते थे, पीएम बोले कि अगर दृढ़ निश्चय हो और नीतीश जैसा साथी साथ हो तो सबकुछ संभव है.
पीएम ने कहा कि 5-6 साल में हमने समस्याओं का हल ढूंढा है. 4 साल पहले उत्तर-दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु को शुरू किया गया. पीएम ने कहा कि भूकंप की आपदा ने मिथिला और कोसी को अलग किया था, आज कोरोना महामारी के बीच इन दोनों को फिर से जोड़ा जा रहा है. ये प्रोजेक्ट अटल जी और नीतीश बाबू का ड्रीम प्रोजेक्ट है.
इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन यूपीए सरकार के दौरान पूरा काम रुक गया. अब आप आएं हैं तो इस कारण ये काम पूरा हो पाया. नीतीश ने इस दौरान अपील करते हुए कहा कि इस लाइन को आगे भी बढ़ाया जाना चाहिए, ऐसी मेरी सरकार से उम्मीद है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब 300 किमी. का सफर तय नहीं करना होगा, कुछ ही वक्त में रास्ता कट जाएगा.