एप्पल के किसी भी प्रोडक्ट को लेकर लोगों की उत्सुकता और दीवानगी समय के साथ बढ़ती ही जाती है। इस बार भी आईफोन एक्स ने खूब सुर्खियां बटोरीं और हमेशा की तरह एप्पल के दीवानों ने घंटों लाइन में लगकर यह फोन खरीदा।
आइफोन एक्स के लिए लोगों की दीवानगी का एक बड़ा कारण इस फोन की बैजललेस डिस्प्ले और फेस आईडी है। पहली बार किसी फोन में 3डी फेस आईडी का इस्तेमाल किए जाने के कारण यह तकनीक काफी सुर्खियों में रही। साथ ही यह कितनी सिक्योर है, इस पर भी सवाल उठते रहे हैं। यह भी देखने वाली बात थी कि क्या यह फिंगर प्रिंट की तरह जल्दी और आसानी से फोन अनलॉक कर सकेगी। अगर एप्पल के टच आईडी फिंगरप्रिंट सेंसर की बात की जाए, तो यह बहुत तेज और सटीक तौर पर काम करता है। ऐसे में एप्पल के आईफोन एक्स में टच आईडी की जगह फेस आईडी को इस्तेमाल करना एक चौंकाने वाला कदम था।
आईफोन एक्स से पहले भी एप्पल के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी एंड्रॉयड फोन्स में फेसियल रिकॉगनिशन टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल किया जा चुका है। सैमसंग का खास अनलॉक फीचर आइरिस को स्कैन करता है। देखा गया है कि सिर्फ आईग्लास पहनने भर से भी यह फीचर अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा था। इसके बाद परंपरागत पिन डालकर फोन अनलॉक करना पड़ा। इसका कारण यह भी है कि एंड्रॉयड में यूजर के फेस को टू-डाइमेन्शनल कैमरा शॉट से स्कैन किया जाता है। वहीं आईफोन एक्स का फेस आईडी यूजर के चेहरे को थ्रीडी स्कैन करता है। आईफोन एक्स के फेस आईडी में अपना चेहरा रजिस्टर करते समय आईफोन आपको चेहरा घुमाने के लिए गाइड करता है, ताकि आपके चेहरे को थ्रीडी स्कैन कर सके।
एप्पल का दावा है कि आईफोन एक्स का फेस आईडी यूजर के चेहरे के लगभग तीस हजार प्वाइंट्स को स्कैन करेगा, जिससे समय के साथ चेहरे पर होने वाले बदलावों के बावजूद भी फेस आईडी यूजर के चेहरे को पहचान पाएगा। उदाहरण के लिए चश्मा पहनना या हैट लगाना व बढ़ती उम्र के बदलाव के बावजूद भी फेस आईडी अपना काम बखूबी करता है। साथ ही एप्पल का यह भी दावा है कि हर बार फेस से फोन को अनलॉक किए जाने पर यह तकनीक यूजर के चेहरे पर होने वाले छोटे-मोटे बदलावों को स्कैन कर लेती है।
वहीं दूसरी ओर एंड्रॉयड में चेहरे पर बदलावों के होने की स्थिति में यूजर को सेटिंग्स में जाकर फेस को दोबारा रजिस्टर करना होता है। आईफोन एक्स के फेस आईडी की भी सीमाएं हैं। यदि यूजर लंबे समय बाद शेव करता है, तो संभावना है कि आइफोन एक्स का फेस आईडी भी यूजर को पहचान न पाए। ऐसे में यूजर को पासकोड डालकर फोन को अनलॉक करना होगा। वहीं फोन के अनलॉक होने पर फेस आईडी यूजर के चेहरे के बदलावों को आगे के लिए सेव कर लेगा।