किसानों की बहादुरी की परीक्षा सरकार को नहीं लेनी चाहिए सिखों ने पहले भी चार बार दिल्ली जीती है

कृषि कानूनों के विरोध में कुंडली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। सरकार के साथ लगातार बातचीत के बीच दिल्ली की सीमाओं को सील किए बैठे किसानों का हौसला अभी कम नहीं हुआ है। युवा किसानों के साथ साथ बुजुर्ग भी पूरे दम से इस आंदोलन में डटे हुए हैं। बुजुर्गों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी अच्छा काम कर रहे थे लेकिन सही काम करते-करते वह पथ से भटक गए हैं। हम उन्हें सही राह पर ले आएंगे। 

कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के दीनानगर से पहुंचे 82 साल के बुजुर्ग किसान अमरजीत सिंह का कहना है कि जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं होंगे, वह यहां से वापस नहीं जाएंगे। कुंडली बॉर्डर पर 27 नवंबर को शुरू हुए धरने के 2 दिन बाद ही शामिल होने के लिए आए अमरजीत सिंह न केवल किसानों की आवाज को मुखर कर रहे हैं, बल्कि यहां लगातार लंगर में सेवा भी दे रहे हैं। 

82 साल के अमरजीत सिंह कहते हैं कि उन्होंने बंटवारे का दर्द भी देखा है और फिर पंजाब का विभाजन भी और 84 के दंगे समेत आधा दर्जन बड़े आंदोलनों का वह हिस्सा रहे हैं। यही कारण है कि आंदोलन उनकी आदत में शुमार हो चुके हैं। अब वह आंदोलनों से घबराते नहीं हैं। अमरजीत सिंह बताते हैं कि कंपकंपाती ठंड में पानी के बीच उन्हें खेतों में काम करने की आदत है, ऐसे में यह ठंड उनके लिए कुछ भी नहीं है।

अमरजीत सिंह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी हैं। नरेंद्र मोदी ने बहुत से अच्छे काम किए हैं, जिसके कारण किसानों के वोट मिलने से ही वह दोबारा सत्ता में आए हैं। इसी सरकार में 84 के दंगों के मामले में उन्हें न्याय मिला है। करतारपुर कॉरिडोर का काम हुआ और किसानों को सालाना 6 हजार रुपये आर्थिक सहायता मिल रही है। सही काम करते-करते वह पथ से भटक गए हैं। 

किसान अमरजीत सिंह ने कहा कि किसानों की बहादुरी की परीक्षा सरकार को नहीं लेनी चाहिए। सिखों ने पहले भी चार बार दिल्ली जीती है। इस बार फिर से वह तैयार हैं। उनकी मांग नहीं मानी गई तो 26 जनवरी की परेड किसान करेंगे और लाल किले पर किसानी झंडा लहराएंगे। इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं और धीरे-धीरे उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है।

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