मान्यता है इस दिवाली को मनाने व देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर उतर आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था।
कार्तिक मास में हर साल देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इसे त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसकी खुशी में इस त्योहार को मनाया जाता है। देव दीपावली के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान का विशेष महत्व होता है। देव दीपावली के दिन सूर्यास्त के बाद दीपदान भी किया जाता है।
देव दीपावली कब है?
इस साल देव दीपावली 7 नवंबर 2022, सोमवार को है। सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित माना गया है। जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि कब से कब तक-
पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर को शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू और 8 नवंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। देव दीपावली पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 14 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट तक है। पूजन की कुल अवधि 2 घंटे 32 मिनट की है।
देव दीपावली 2022 शुभ संयोग-
इस साल देव दीपावली पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन अभिजीत मुहूर्त व रवि योग समेत कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:53 ए एम से 05:45 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:43 ए एम से 12:26 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:54 पी एम से 02:37 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:32 पी एम से 05:58 पी एम
अमृत काल- 05:15 पी एम से 06:54 पी एम
रवि योग- 06:37 ए एम से 12:37 ए एम, नवम्बर 08
देव दीपावली पर दीपदान का महत्व-
देव दीपावली पर दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने व दीपदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है।