कद छोटा है तो परेशान न हों, इस तरीके से बढ़ा सकते हैं आप अपनी लंबाई

कद छोटा है तो परेशान न हों, इस तरीके से बढ़ा सकते हैं आप अपनी लंबाई

अगर आपकी हाइट कम है तो परेशान न हों, बल्कि खुश हो जाएं। आप एक तरीका अपनाकर लंबाई बढ़ाई जा सकती है, जानिए इसके बारे में सब कुछ। कद छोटा है तो परेशान न हों, इस तरीके से बढ़ा सकते हैं आप अपनी लंबाई

रूस के कुरगन निवासी डॉ. जीए इलिजाराव की 1960 में इजाद तकनीक को कास्मेटिक सर्जरी में प्रयोग करके किसी की भी लंबाई को बढ़ाया जा सकता है। इसमें छह सेंटीमीटर से लेकर 20 सेंटीमीटर तक किसी की लंबाई को बढ़ाना संभव है। यह तकनीक वर्तमान में दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के अलावा जन्मजात हड्डियों के टेढ़ेपन और छोटी-बड़ी हड्डी को सही करने के लिए प्रयोग की जाती है। 

यह तकनीक कम लंबाई वालों के अलावा बौनों के लिए भी लाभदायक हो सकती है। यह जानकारी पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के ऑर्थों विभाग में तैनात वरिष्ठ डॉक्टर राजेश रोहिल्ला ने दी। अस्थि रोग विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. रोहिल्ला ने बताया कि ‘जीए इलिजाराव’ तकनीक कम लंबे और बौने लोगों के लिए सामान्य मरीजों के अलावा संजीवनी बूटी से कम नहीं है।

इसमें घुटने के ऊपर थाई बोन और घुटने के नीचे टीजिया हड्डी को तोड़ कर छह-छह सेंटीमीटर आसानी से लंबा किया जा सकता है। यहां दोनों का अलग-अलग ऑपरेशन करना होता है। इसमें दो से तीन साल का अंतर रखना होता है और शरीर की क्षमता के हिसाब से मरीज की सर्जरी की जाती है। यदि छह सेंटीमीटर से अधिक लंबाई बढ़ाने के लिए कार्य किया जाता है तो मरीज पर अधिक ध्यान देना अनिवार्य हो जाता है।

क्योंकि इसमें हड्डी के टेढ़ा होने की आशंका बढ़ जाती है। यदि मरीज नियमित जांच के लिए आता है तो कोई समस्या नहीं होती। डॉ. रोहिल्ला ने बताया कि इस तकनीक से हाथों को भी लंबा करना आसान है। इस तकनीक को कास्मेटिक सर्जरी के अलावा वर्तमान में जन्मजात हड्डी का टेढ़ापन सही करने, छोटे पैरों को बराबर करने, जटिल फैक्चर सही करने, चोट लगने के कारण हड्डी में मवाद पड़ने आदि कारणों में प्रयोग किया जाता है।एक्सपर्ट ने बताया कि यदि मरीज चार साल की आयु से लगातार आए तो वह 20 सेंटीमीटर तक लंबाई बढ़ा सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में मरीज को अधिक समय देना होता है। इस प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं है, मरीज के शरीर में दो एमएम की तार हड्डी को शिकंजे में बांधने के लिए डाली जाती हैं, इनका अधिक निशान भी नहीं पड़ता।

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