अक्सर दांत में दर्द होने पर हम सोचते हैं कि कुछ देर में ठीक हो जाएगा. दांत पर लौंग रखते हैं, लौंग का तेल लगा लेते हैं या फिर किसी दवा से दर्द ठीक हो जाता है. इसके बाद हम फिर शुरू हो जाते हैं दांतों के प्रति लापरवाही बरतने में. हाल ही में हुए एक अध्ययन में भी यह बात साबित हुई है. पता चला कि भारत में दांतों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता है. हाल ही में किए गए एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि लगभग 95 फीसदी भारतीयों में मसूड़ों की बीमारी है, 50 फीसदी लोग टूथब्रश का उपयोग नहीं करते और 15 साल से कम उम्र के 70 फीसदी बच्चों के दांत खराब हो चुके हैं. 
इम्प्लांटोलॉजिस्ट और डेंटल सर्जन गोल्ड मेडेलिस्ट एमडीएस डॉक्टर नरेंद्र सिंह.
दांतों की सेंस्टिविटी एक और बड़ी समस्या है, क्योंकि इस समस्या वाले मुश्किल से चार फीसदी लोग ही दंत चिकित्सक के पास परामर्श के लिए जाते हैं. लेकिन यह बहुत जरूरी है कि आप अपने दांतों का खास ख्याल रखें. दिल्ली के द्वारका में प्रक्टिस कर रहे इम्प्लांटोलॉजिस्ट और डेंटल सर्जन ( गोल्ड मेडेलिस्ट एमडीएस) डॉक्टर नरेंद्र सिंह से हमने की दांतों की देखभाल पर बातचीत…आप मानें या न मानें लेकिन आप दिन में जितनी ज्यादा बार खाने के लिए मुंह चलाएंगे उतनी ही बार अपने दांतों को साफ करना आपके लिए जरूरी है. आम तौर पर हम दांतों की सफाई को लेकर आलसी हो जाते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप खाना खाने के तुरंत बाद ब्रश लेकर दांतों को साफ करना शुरू कर दें. खान से बने एसिड दांतों के एनेमल को मुलायम कर देते हैं. इसलिए खाने के कम से कम एक घंटे बाद ही बंश करें.
ब्रश करने का सही तरीका
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डॉक्टर नरेंद्र सिंह का कहना है कि ज़्यादा ज़ोर लगाकर ब्रश नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से दांत और मसूड़े ज़ख्मी हो सकते हैं. जरूरत है कि हम बच्चों को सही तरीके से ब्रश करने की आदत ड़ालें ताकी वह ताउम्र सही तरीके से ही ब्रश करें.
कैसा हो ब्रश
इस बात का खास ध्यान रखें कि आप अपने टूथब्रश को अक्सर बदलते रहें और नया टूथब्रश इस्तेमाल करें क्योंकि इससे मुंह की स्वच्छता को बरकरार रखने में मदद मिलती है. इसलिए भले ही आपका ब्रश खराब हो या न हो हर महीने अपने लिए नया ब्रश ले आएं.
छोड़ें बुरी आदत
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