एपल, सिर्फ विपक्ष के नेताओं को ही क्यों मिला यह अलर्ट?

आज यानी 31 अक्तूबर 2023 की सुबह उस वक्त अफरातफरी का माहौल बन गया जब प्रियंका चतुर्वेदी, शशि थरूर, महुआ मोइत्रा, राघव चड्ढा समेत विपक्ष के कई नेताओं के पास एपल की ओर से अलर्ट आया कि उनके फोन को हैक किया जा सकता है। तमाम नेताओं ने एक्स अकाउंट पर एपल की ओर से आए नोटिफिकेशन का स्क्रीनशॉट किया और मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया। एपल की ओर से अलर्ट आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है और जासूसी का आरोप लगाया है। आइए विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह अलर्ट क्या था और एपल ने इस पर क्या कहा है?
अलर्ट में क्या था?
‘अलर्ट: राज्य-प्रायोजित अटैकर्स आपके iPhone को निशाना बना सकते हैं। Apple का मानना है कि आपको राज्य-प्रायोजित अटैकर्स द्वारा निशाना बनाया जा रहा है जो आपके Apple ID से जुड़े iPhone को दूर से ही खतरे में डालने की कोशिश कर रहे हैं। आप कौन हैं या आप क्या करते हैं, इसके आधार पर ये हमलावर संभवतः आपको व्यक्तिगत रूप से निशाना बना रहे हैं। यदि आपकी डिवाइस या फोन के साथ किसी राज्य-प्रायोजित अटैकर ने छेड़छाड़ की है, तो वे आपके संवेदनशील डाटा, कैमरा और माइक्रोफोन को दूर से ही एक्सेस कर सकते हैं। कृपया इस चेतावनी को गंभीरता से लें।’
अलर्ट पर Apple ने क्या कहा?
एप्पल ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “राज्य-प्रायोजित हमलावर बहुत अच्छी तरह से फंडिंग वाले और ट्रेंड हैं और उनके अटैक के तरीके समय के साथ बदलते रहते हैं। ऐसे साइबर अटैक का पता लगाना काफी मुश्किल है। कई बार ये अलर्ट झूठे भी साबित होते हैं। यह भी संभव है कि एपल की ओर से भेजे गए कुछ अलर्ट झूठे हो सकते हैं। हम इस बारे में जानकारी देने में असमर्थ हैं कि किस कारण से हमें खतरे की सूचनाएं जारी करनी पड़ रही हैं, क्योंकि इससे हैकर्स को मदद मिल सकती है। Apple ने यह अलर्ट उन लोगों को भेजा है जिनके अकाउंट करीब 150 देशों में एक्टिव हैं।’
क्या पहले भी ऐसा हो चुका है?
जी हां, यह दूसरी बार है जब Apple ने अपने यूजर्स को संभावित राज्य-प्रायोजित हमले की चेतावनी देते हुए ऐसी सूचनाएं भेजी हैं। 2021 में भी Apple और Google दोनों ने भारत सहित कई देशों के यूजर्स को इसी तरह का अलर्ट भेजा था जिसमें इस्राइली कंपनी NSO के स्पाइवेयर पेगासस की मदद से दुनियाभर के कई लोगों के आईफोन को हैक किया गया था।
किसे मिलता है इस तरह का अलर्ट?
एपल के सपोर्ट पेज के मुताबिक यह अलर्ट इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि यदि किसी यूजर के आईफोन पर राज्य-प्रायोजित साइबर अटैक की कोशिश की जाती है तो यूजर को अलर्ट मिल जाएगा। ट्रेडिशनल साइबर क्रिमिनल और राज्य-प्रायोजित हैकर्स के तरीके अलग-अलग होते हैं। राज्य-प्रायोजित हैकर्स बहुत ही कम यूजर्स को एक खास तरीके से टारगेट बनाते हैं। यह नोटिफिकेशन तब मिलता है जब यूजर्स के अकाउंट के साथ लगातार संदिग्ध गतिविधी देखी जाती है। appleid.apple.com पर एपल आईडी से लॉगिन करके भी इस अलर्ट को देखा जा सकता है।
सिर्फ विपक्ष के नेताओं को ही क्यों मिला यह अलर्ट?
विपक्ष के द्वारा जासूसी के आरोप पर केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “सरकार इस मुद्दे को लेकर काफी चिंतित है और इसकी जांच के लिए वह इसकी तह तक जाएगी। कुछ लोगों को देश के विकास रास नहीं आ रहा है। ये लोग देश का विकास नहीं देख सकते। एपल द्वारा भेजा गया यह अलर्ट 150 देशों में अलग-अलग लोगों को फोन हैकिंग का अलर्ट मिला है।”

अब कुल मिलाकर देखा जाए तो इस मामले पर एपल का भी बयान आ गया और सरकार ने भी अपना पक्ष रख दिया, लेकिन अभी यह सवाल ज्यों का त्यों है कि यदि यह एक बग था तो सिर्फ विपक्ष के नेताओं को ही यह अलर्ट क्यों मिला? किसी अन्य यूजर्स या नेता को क्यों नहीं मिला? सरकार के मुताबिक यह अलर्ट 150 देशों में भेजा गया है लेकिन किसी अन्य देशो के यूजर्स ने अभी तक सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी नहीं दी है।
इस तरह के अलर्ट मिलने पर क्या करें?
एपल का लॉकडाउन मोड आपको इसी तरह के गंभीर साइबर हमलों से बचाता है। यदि आपको लगता है कि आपके आईफोन या आईपैड को निशाना बनाया जा रहा है या इसकी संभावना है तो आप लॉकडाउन मोड को ऑन कर सकते हैं। लॉकडाउन मोड के ऑन होने के बाद आपका आईफोन पहले की तरह काम नहीं करेगा। लॉकडाउन मोड के ऑन होने के बाद आपके फोन में कई तरह के प्रतिबंध लग जाते हैं। मैसेज में आने वाले अधिकतर अटैचमेंट ब्लॉक हो जाते हैं। इसके अलावा लिंक और लिंक प्रिव्यू को भी एपल ब्लॉक कर देता है ताकि आप किसी ऐसी साइट पर ना जाएं जिसे हैकर ने आपके लिए ही तैयार किया है।

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