आगरा: शादी हर लड़की का एक सपना होती है. इसके लिए वह भरसों से कईं सपने सजाए बैठी होती है. शादी के जैसे जैसे दिन करीब आते हैं, वैसे वैसे ही एक लड़की की इच्छाएं बढती जाती हैं. कभी सजना संवरना तो कभी शौपिंग, शादी के घर में चलती ही रहती हैं. ऐसे में एक लड़की का उसके आने वाले घर परिवार को लेकर चिंतित होना आम बात है. लेकिन इन खुशियों भरे माहोल में कईं बार ऐसी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं की इंसान टूट जाता है. कुछ ऐसी ही घटना हाल ही में हमारे सामने आई है. जहाँ, एक फौजी के घर की खुशियों का माहोल मातम में बदल गया, जिसको देख सबके होश उड़ गये. जहाँ एक तरफ एक बहन की शादी की डोली उठ रही थी, वहीँ दूसरी और एक बहन की अर्थी उठ रही थी. ऐसा मंज़र देख हर कोई सन्न रह गया था. आप भी इस ख़बर को पढ़ कर अपने आंसू नहीं रोक पाएंगे. बहरहाल, चलिए जानते हैं आखिर ये पूरी ख़बर क्या है..
मिली जानकारी के मुताबिक ये मामला ताजनगर के रिटायर्ड फौजी घर का है. जहाँ वीरेंद्र सिंह के परिवार में खुशियों की जगह मातम का माहोल छा गया. जानकारी के अनुसार वीरेंद्र के पांच बच्चे थे. जिनमे से चार बेटियां और एक बेटा है. करीबन 12 साल पहले ही उन्होंने अपनी बड़ी बेटी नीरज की शादी पुष्पेंद्र नामक फौजी से करवा दी थी. इसके बाद से ही नीरज को अक्सर दहेज़ के बारे में तान्हे मिला करते थे. वीरेंद्र ने अभी अपनी तीसरी बेटी शालू की शादी 23 नवम्बर को तय की थी. लेकिन, कोई नहीं जनता था कि ये शादी की खुशियाँ उनके पास बहुत सारे दुःख लेकर आ रही हैं.
दरअसल 18 नवम्बर को इस शादी के माहोल में वीरेंद्र सिंह ने अपने दामाद को लग्न के तौर पर सोने की अंगूठी पहनाई थी. जिसके बाद उनका बड़ा दामाद पुष्पेंद्र गुस्से से पागल हो गया और उसने वीरेंद्र का गला पकड़ लिया. काफी बहस के बाद जैसे तैसे माहोल को शांत किया गया. लेकिन 20 तारिख को पुष्पेंद्र ने अपने परिवार के साथ मिल कर उनकी बेटी नीरज को जिंदा जला डाला. जिसके बाद उसको अस्पताल पहुँचाया गया था. शालू की शादी वाले दिन ही उनकी बड़ी बेटी ने अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया. जिससे खुशियाँ का ये माहोल आंसूओं में बदल गया.
जहाँ 23 नवम्बर वाले दिन वीरेंद्र के घर में खुशियों की शेहनाई बज रही थी, वहीँ उन्हें बेटी नीरज की मौत की सूचना प्राप्त हो गयी. जिसके बाद एक बेटी के फेरे चल रहे थे तो दूसरी संसार त्याग चुकी थी. शादी में मौजूद सभी लोग ना हंस पा रहे थे ना रो पा रहे थे. एक बाप के लिए इससे अधिक दुःख भला क्या हो सकता था कि एक बेटी को डोली में बिठा रहा था और दूसरी को कंधो पर लेजाना बाकी था. ऐसा माहोल देख वहां मौजूद सभी लोग पुष्पेंद्र को अपनी हाय दे रहे थे और कह रहे थे कि ” ऐसा कभी किसी के साथ ना हो”.