भड़काऊ बयान देने के मामले में डॉ. कफील खान को कोर्ट ने जमानत दे दी है. इसके बावजूद वो जेल से नहीं निकल पाए हैं. क्योंकि योगी सरकार ने अब उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की है. योगी सरकार की इस कार्रवाई पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं.

ओवैसी ने कहा कि योगी सरकार को जब भी किसी वर्ग को सताना होता है तो वो उसके खिलाफ NSA लगा देते हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार खासकर सताए हुए दलितों, मुस्लिमों और सरकार का विरोध करने वाले लोगों को इस कानून के तहत निशाने पर लेते हैं.
ओवैसी ने कहा, “उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बार-बार विरोधियों, सताए हुए दलितों और मुस्लिमों के खिलाफ NSA का प्रयोग कर रहे हैं. एक डॉक्टर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कैसे खतरा हो सकता है. एक सीएम जो ‘ठोक देंगे’ और ‘बोली नहीं तो गोली’ जैसी भाषा का प्रयोग करते हैं असल में तो वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं.”
बता दें, डॉ. कफील खान को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में विवादित बयान देने के मामले में जनवरी महीने में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था. उनपर पिछले साल 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.
शुक्रवार को डॉ. कफील खान जमानत पर रिहा होने वाले थे, लेकिन रासुका ने एक बार फिर से उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है. डॉक्टर कफील खान के वकील ने कोर्ट में उनकी जमानत की अर्जी डाली थी, जिस पर 10 फरवरी को सीजेएम कोर्ट ने डॉ कफील खान को जमानत दे दी थी. कोर्ट ने 60,000 रुपये के दो बांड के साथ सशर्त जमानत दी थी. साथ ही कहा था कि वो भविष्य में इस तरह की घटना को नहीं दोहराएंगे. वह फिलहाल मथुरा जेल में हैं.
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) ने कफील को जनवरी में मुंबई से गिरफ्तार किया था. डॉक्टर कफील खान को गिरफ्तार करने के लिए यूपी एसटीएफ लगाने पर सवाल भी उठे थे. हालांकि उस समय पुलिस का कहना था कि न्यायिक प्रक्रिया के तहत डॉक्टर कफील खान की गिरफ्तारी हुई है.
पुलिस के मुताबिक डॉक्टर कफील खान को हेट स्पीच की वजह से गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था. यूपी एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद डॉक्टर कफील खान ने कहा था, ‘मुझे गोरखपुर के बच्चों की मौत के मामले में क्लीन चिट दे दी गई थी.
अब मुझको फिर से आरोपी बनाने की कोशिश की जा कर रही हैं. मैं महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि मुझे महाराष्ट्र में रहने दे. मुझको उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं है.’
आपको बता दें कि कुछ समय पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 बच्चों की मौत के मामले में निलंबित किए जाने के बाद डॉक्टर कफील खान सुर्खियों में आए थे. हालांकि बाद में इस मामले में उनको क्लीन चिट दे दी गई थी.
रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने की शक्ति देता है. यह अधिकार केंद्र और राज्य सरकार दोनों को समान रूप से मिले हैं.
रासुका लगाकर किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है. हालांकि तीन महीने से ज्यादा समय तक जेल में रखने के लिए एडवाइजरी बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है. राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा होने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के आधार पर रासुका लगाया जा सकता है.
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