एक्सरसाइज ना करने के सौ बहाने हैं. कोई वक्त की कमी के कारण एक्सरसाइज से कतराता है तो कोई आलस के कारण इससे दूर भागता है. हम सभी को यह पता है कि एक्सरसाइज हमारी सेहत के लिए कितनी जरूरी है. यह ना सिर्फ हमें फिट रखती है बल्कि हमारे शरीर को बहुत सी बीमारियों से बचाती भी है. इतने ज्यादा फायदे होने के बावजूद आखिर ऐसा क्या है जो हम खुद को एक्सरसाइज से दूर रखते हैं.
ज्यादातर लोग आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यायाम से दूर भागते हैं. उन्हें लगता है कि इसका कोई फायदा नहीं होने वाला है इसलिए वह कोशिश ही नहीं करते. एक्सरसाइज के लिए मोटिवेशन की बहुत जरूरत होती है. यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि शरीर आपका है और इसका ख्याल भी आपको ही रखना पड़ेगा.
रातोरात कुछ नहीं बदलता अगर आप ऐसा सोचते हैं कि 2 दिन की एक्सरसाइज से ही आप में बदलाव आने लगेंगे तो आप गलत सोच रहे हैं. हर चीज को बदलने में वक्त लगता है. आप एक बार एक्सरसाइज शुरू करने के बाद इसे जारी रखिए और फिर वह खुद-ब-खुद अपने शरीर में बदलाव नजर आने लगेंगे. आपको तो बस अपने लक्ष्य पर नजरें गड़ाए रखनी है.
हम आपको यह नहीं कह रहे कि आप जिम में घंटो पसीना बहाए. आपको केवल इतनी सलाह दे रहे हैं कि आप पूरे दिन में थोड़ा सा समय भी एक्सरसाइज के लिए निकालें तो भी सकारात्मक बदलाव अपने शुरू हो जाएंगे. कुछ नहीं करने से तो अच्छा कुछ थोड़ा ही किया जाए. एक व्यस्क इंसान के लिए 1 सप्ताह में डेढ़ सौ मिनट की कसरत काफी होती है.
अगर आप एक्सरसाइज में नए हैं तो आपको यह सलाह दी जाती है कि मॉडरेट एक्सरसाइज से अपनी शुरुआत करें. मॉडरेट एक्सरसाइज का मतलब यह नहीं है कि आप जमकर अपना पसीना बहाए। इस तरह की एक्सरसाइज का मतलब है कि आपकी सांस की गति थोड़ी सी बढ़ी हुई होनी चाहिए। उदाहरण के लिए आप वॉक करते हुए अपने साथी से बात तो कर पाए लेकिन आसानी से गाना ना गा पाए. आपका शरीर गर्म होना चाहिए ना कि पसीने से लथपथ.
अगर आपको कोई गंभीर बीमारी है तो आपको एक्सरसाइज शुरू करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए.एक्सरसाइज करते वक्त भी अपने शरीर को सुनना बहुत जरूरी है. अगर आपको कोई तकलीफ हो रही हो तो उसी वक्त आराम करना बेहतर होगा. उसके बाद जब आप अच्छा महसूस करें तो फिर से एक्सरसाइज शुरू कर सकते हैं. एक्सरसाइज खत्म करने के बाद कूल डाउन करना भी बहुत जरुरी है. कूल डाउन का मतलब आपके दिल की धड़कन सामान्य अवस्था में आ जाए.