नैनीताल: निकायों के सीमा विस्तार मामले में पहले हाई कोर्ट ने सरकार को जोर का झटका दिया है। कोर्ट ने निकायों के सीमा विस्तार मामले में अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित करते हुए सरकार से छह मार्च तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार की ओर से प्रदेश के तमाम निकायों का सीमा विस्तार करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों को भी शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी किया। भवाली क्षेत्र के प्रधान संजय जोशी, हल्द्वानी के ब्लॉक प्रमुख भोला दत्त भट्ट, संघर्ष समिति अर्गेस्ट नोटिफिकेशन ऑफ नगर निगम कोटद्वार व शक्तिशैल कपरवाण, देहरादून के प्रधान कर्मचंद, रसूलपुर की प्रधान दीपिका समेत 11 लोगों द्वारा याचिका दायर कर सीमा विस्तार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी।
इसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा सीमा विस्तार से पहले सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया। यह भी कहा कि उक्त गांवों के लोग पूरी तरह कृषि पर निर्भर हैं। अभी ग्राम पंचायतों का कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ है। उन्हें उनके पद से अपदस्थ करने की साजिश रची जा रही है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि सीमा विस्तार का नोटिफिकेशन गांवों की बेशकीमती जमीन खुर्द-बुर्द करने के मकसद से किया गया है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद फिलहाल यथास्थिति बनाने के आदेश पारित करते हुए अगली सुनवाई छह मार्च नियत कर दी। साथ ही कहा कि जो अधिसूचना के बिन्दु याचिका में है, उनके अनुपालन में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। उधर, सरकारी पक्ष के अनुसार कोर्ट का आदेश सरकार के लिए कोई झटका नहीं है, बल्कि यदि किसी निकाय का सीमा विस्तार हो चुका है तो उसकी भी यथास्थिति बनी रहेगी।
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