देहरादून: उत्तराखंड में अब टिहरी समेत पांच जलाशयों में सी प्लेन उतारने की तैयारी है। इसके लिए इन स्थानों का अध्ययन कर लिया गया है। अब यहां सी प्लेन संचालन के लिए उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (यूकाडा) को केंद्र सरकार द्वारा सागरमाला परियोजना के अंतर्गत बनाई गई एसपीवी (विशेष साधन योजना) के साथ करार करना है। यह एसपीवी इन स्थानों पर ढांचागत विकास के साथ ही सी प्लेन संचालन में प्रदेश सरकार का तकनीकी सहयोग करेगी।
प्रदेश की झीलों व नदियों में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। टिहरी झील को जल पर्यटन के एक बड़े गंतव्य के रूप में देखा गया है। प्रदेश सरकार पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यहां सी प्लेन उतारने की योजना बना रही है। वर्ष 2019 में प्रदेश सरकार और एयरपोर्ट अथारिटी के बीच यहां वाटर एयरोड्रम बनाने के लिए करार हुआ था। बीते वर्ष एयरपोर्ट अथारिटी ने इस झील में वाटर एयरोड्रम के लिए जगह भी चिह्नित कर ली थी। वाटर एयरोड्रम ऐसे स्थान पर बनेगा, जहां मोटर बोट के संचालन को अनुमति नहीं होगी। इस योजना को केंद्र ने इस साल नए स्वरूप में लिया है। इसके लिए केंद्र ने सागरमाला परियोजना के अंतर्गत एक एसपीवी का गठन किया है, जो देश के विभिन्न राज्यों में सी प्लेन संचालन के लिए ढांचागत व तकनीकी सहयोग देगी।
उत्तराखंड ने पांच स्थानों पर सी प्लेन उतारने की संभावना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। इसमें ऊधमसिंह नगर का हरिपुरा जलाशय, ऋषिकेश बैराज, टिहरी झील, नानकमत्ता बैराज और कालागढ़ झील को शामिल किया गया। इस पर केंद्र ने इन स्थानों पर सी प्लेन के संचालन के संबंध में अध्ययन करने को कहा। इन सभी स्थानों को सी प्लेन के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र को भेज भी दी गई है। अब इसके लिए केंद्र द्वारा गठित एसपीवी से करार किया जाना है।
सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने कहा कि इसकी पत्रावली केंद्र को भेजी गई है। आचार संहिता के कारण फिलहाल इस पर कार्य रुका है। आचार संहिता समाप्त होने पर नई सरकार के दिशा-निर्देशानुसार इस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा।
क्या होता है सी प्लेन
सी प्लेन एक विशेष प्रकार का हवाई जहाज है, जिसे उड़ान भरने के लिए रनवे की जरूरत नहीं पड़ती है। यह प्लेन पानी से टेक आफ और लैंडिंग कर सकता है। इस प्लेन का उपयोग पर्यटन गतिविधियों के अलावा रेस्क्यू आपरेशन के दौरान किया जाता है।