एजेंसी/ करीब दो हफ्ते पहले नंगबक्कम के एक सैलून में मद्रास मेडिकल कॉलेज के एक फाइनल इयर मेडिकल स्टूडेंट की मौत हो गई। छात्र का हेयर ट्रांसप्लांट प्रसीजर चल रहा था, मौत से एक दिन पहले ही उसने सिटिंग दी थी।
हेयर ट्रांसप्लांट
परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी इसलिए अब तक पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया था। डॉक्टरों ने बताया कि संभवत: स्टूडेंट की मौत ऐनिस्थीसिया के प्रति ऐलर्जी के कराण हुई है। स्टेट मेडिकल काउंसिल ने दो डॉक्टरों (अंडरग्रैजुएट और एक ऐनिस्थी) को नेटिस भेज पूछा है कि क्वॉलिफाइड न होने के बावजूद उन्होंने सर्जरी क्यों की और वह भी नॉन-मेडिकल सेंटर में। मेडिकल सर्विसेज डायरेक्टरेट(DMS) ने सैलून को सील कर दिया है।
मामला तब सामने आया जब तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल ने पिछले हफ्ते स्वास्थ्य विभाग को एक शिकायत भेजकर जानकारी दी कि अडवांस्ड रोबॉटिक हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर में 17 मई को एक स्टूडेंट की मौत हो गई। DMS ने बताया कि सेंटर के पास सिर्फ हेयर कटिंग और स्टाइलिंग का लाइसेंस है, किसी ऐसे प्रोसीजर का लाइसेंस नहीं है जिसमें सर्जरी करनी होती है।
प्रसीजर के दौरान मरीज ने परेशानी होने की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें पास के प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया था जहां डॉ. हरिप्रसाद भी काम करते हैं। वहां उन्हें फर्स्ट एड दी गई। अगले दिन जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो परिजन उन्हें पास के क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज ले गए जहां उनकी मौत हो गई। डॉ. सेंथिल ने बताया कि उनकी मौत ऐलर्जी के कारण मल्टि-ऑर्गन-फेल्योर के कारण हुई।