इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कट्टरपंथी और पुरुषवादी सोच के चलते एक महिला को मौत की सजा सुनाई गई है। यह महिला एक प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल है, जिसने साल 2013 में पैगंबर मोहम्मद को इस्लाम का अंतिम पैगंबर मानने से मना कर दिया था। इसके साथ ही महिला खुद को इस्लाम का पैगंबर बताया था। पाकिस्तानी रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर की डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने सोमवार (सितंबर 27, 2021) को निश्तर कॉलोनी के एक निजी स्कूल की हेडमास्टर सलमा तनवीर को मौत की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर 50000 पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
बता दें कि एक स्थानीय मस्जिद के नमाजी नेता कारी इफ्तिखार अहमद रजा की शिकायत पर निश्तर कॉलोनी पुलिस ने महिला के विरुद्ध 2 सितंबर 2013 को FIR दर्ज की थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के जज मंसूर अहमद ने सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि तनवीर ने पैगंबर मोहम्मद को इस्लाम का आखिरी पैगंबर न मान कर ईशनिंदा की। इस दौरान तनवीर के वकील मोहम्मद रमजान ने दलील देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल की मानसिक हालात ठीक नहीं है और कोर्ट को इस तथ्य पर गौर देना चाहिए। हालाँकि, अदालत में पेश हुई महिला की मेडिकल रिपोर्ट से यह साबित हुआ कि उसकी मानसिक स्थिति सही है।
दरअसल, शिकायतकर्ता मौलवी की तरफ से पेश हुए वकील ने कोर्ट को पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि आरोपित महिला संदिग्ध मुकदमा चलाने के लिए फिट है क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति बिल्कुल सही है। इसके बाद कोर्ट ने उसे सजा-ए-मौत सुनाई और PPC की 295 धारा के तहत 50000 रुपए का जुर्माना देने के लिए कहा। लाहौर अदालत में सुनाए गए इस फैसले की अब सोशल मीडिया पर काफी चर्चा चल रही है। यूजर्स पाकिस्तान के कट्टरपंथ और पुरुषवादी सोच को इसका जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं कुछ मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठा रहे हैं।