कोर्ट के आदेश की अनदेखी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश में टिप्पणी की है कि अग्रिम जमानत की अर्जी दायर करने वाले आरोपियों को आत्मसमर्पण का पूरा मौका दिया गया था। लेकिन आरोपियों ने अग्रिम जमानत की आस में इसकी अनदेखी की। कोर्ट ने 21 नवंबर को सीबीआई और आरोपियों को समन जारी कर 23 नवंबर को हाजिर होने को कहा था। आरोपियों के हाजिर नहीं होने पर ही गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। इस मामले में सीबीआई की तरफ से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल जेके जैन ने अग्रिम जमानत अर्जियों का विरोध किया।
अमीर बच निकते हैं, गरीब फंस जाते हैं, अंगुली कोर्ट पर उठती है
हाईकोर्ट ने मामले में शुरुआती सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी में कहा था कि मेडिकल कॉलेज के संचालकों के कृत्यों और व्यापम जैसे बड़े घोटाले की वजह से हजारों योग्य छात्र मेडिकल सीटों पर दाखिले से वंचित हो गए और अयोग्य छात्र पैसे के बल पर सीट हासिल करने में कामयाब हो गए। कोर्ट ने कहा कि दाखिले की पूरी प्रक्रिया नियमों के खिलाफ थी, जिसके शिकार योग्य उम्मीदवार बने। यह बेहद चिंताजनक बात है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अमूमन ऐसे बड़े घोटालों के ट्रायल के दौरान अमीर आरोपी बच निकते हैं, लेकिन गरीब आरोपी फंस जाते हैं। इसका दुखदायी नतीजा यह होता है कि समाज के सामने न्यायिक व्यवस्था पर अंगुली उठना शुरू हो जाती है।