आदिवासी दंपति के खाते से ग्राम रोजगार सहायक ने निकाले 2 लाख

अंतरजातीय दंपति एवं दिव्यांग विवाहित जोड़ों को प्रोत्साहन राशि देने का लिए मध्यप्रदेश सरकार ने योजना शुरू की है ताकि की दंपति अपने नए जीवन की शुरुआत कर सकें, मगर मैहर जिले में दिव्यांग दंपति के उसी राशि पर सरकारी नुमाइंदे ने डांका डाल दिया जिसके बाद मामला अब कलेक्ट्रेट तक जा पहुंचा है और अपर कलेक्टर ने सम्बंधित कर्मचारी को नोटिस थमाते हुए जवाब मांगा है।

एमपी के मैहर जिले से धोखाधड़ी का एक ऐसा मामला सामने जिसने हर किसी को हैरान कर के रख दिया है। सरकार की योजनाओं का लाभ आमजन को देने की बजाय कर्मचारी ने ही हड़प ली। यह धोखाधड़ी निःशक्त विवाह प्रोत्साहन राशि में देखी गई है। जानकारी के मुताबिक मोहनिया सिंह गोड और भगवान सिंह को 2 लाख रुपए की निःशक्त विवाह प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई थी। इस राशि मे रोजगार सहायक के द्वारा आदिवासी निःशक्त दिव्यांग दंपति के साथ धोखाधड़ी कर दी गई। आरोप है कि पीड़ित के बैंक खाते से 2 लाख रुपए की राशि के निकाल लिया गया।

मामले का खुलासा होने पर मैहर अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह ने मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गोरहाई के ब्रांच मैनेजर और ग्राम पंचायत देवरी के रोजगार सहायक नागेन्द्र सिंह उर्फ रिंकू को कारण बताओ नोटिस जारी कर जबाव मांगा गया है। देवरी ग्राम पंचायत जनपद पंचायत रामनगर अंतर्गत आती है।

रोजगार सहायक पर राशि निकालने का आरोप
अपर कलेक्टर की तरफ से जारी नोटिस में जिक्र किया गया कि मोहनिया सिंह गोड और भगवान सिंह को 2 लाख रुपये की निःशक्त विवाह प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई थी। इसमें जनपद पंचायत रामनगर की सीईओ की जांच में पाया गया कि रोजगार सहायक नागेंद्र सिंह ने आदिवासी निःशक्त दिव्यांग दंपति के साथ धोखाधड़ी कर बैंक से दो लाख रुपये राशि का आहरण कर लिया गया है।

अपर कलेक्टर ने शाखा प्रबंधक और रोजगार सहायक को कारण बताओ नोटिस देकर तीन दिवस के अंदर समक्ष में उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गए हैं। जवाब समय सीमा में प्रस्तुत न करने समाधानकारक न पाए जाने पर अथवा अनुपस्थित की दशा में संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

बैंक मैनेजर की भी संलिप्तता
मैहर अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह ने बातचीत में बताया कि रोजगार सहायक की तरफ से आदिवासी निःशक्त दिव्यांग दंपति को फार्म भरवाकर लाभ दिला दिया। लेकिन, जैसे ही खाते में पैसे आ गए तो रोजगार सहायक ने दोनों को बैंक ले जाकर फॉर्म भरकर पैसे निकाल लिए गए। इस पूरे कार्य में मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गोरहाई के बैंक मैनेजर और संबंधित स्टाफ की भूमिका भी संदिग्ध है। वजह है कि यह राशि बिना जांच के दिव्यांग दंपति को देने की बजाए किसी अन्य व्यक्ति को देने पर संदेह उत्पन्न करता है।

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