नई दिल्ली : मां चंद्रघंटा की कृपा से समस्त पाप और बाधाएं खत्म हो जाती हैं। इनकी आराधना करना फलदायी होता है। मां भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। 23 सितंबर नवरात्र का तीसरा दिन है। इस दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियां- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं।
चंद्रघंटा – नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस देवी के 10 हाथ माने गए हैं और ये देवी विभिन्न अस्त्रों और शस्त्रों से सुसज्जित हैं।
ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में बल्कि परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है। इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है।
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा- मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग कल्याणकारी माना गया है। इनकी पूजा के लिए निम्न मंत्र बताया गया है। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है।
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