कई दिनों से कर्नाटक में चल रहे सियासी नाटक में आज का दिन अहम साबित होने वाला है। कर्नाटक विधानसभा में आज विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया जाएगा। जो मौजूदा कांग्रेस-जेडीएस सत्ताधारी गठबंधन की किस्मत तय करेगा। गठबंधन के 16 विधायकों के द्वारा बगावत के कारण 14 महीने पुरानी इस सरकार पर बहुमत का संकट मंडराने लगा है।

बताते चलें कि कांग्रेस की 13 और जेडीएस के 3 तीन विधायकों ने सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की हैं। स्पीकर द्वारा इस्तीफा स्वीकार न करने के सुरत में इन बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया । तब सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि कांग्रेस-जदएस के बागी 15 विधायकों को जारी विधानसभा सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट के इस फेसले को राजनीतिक हलकों में बागी विधायकों के पक्ष में माना जा रहा है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि स्पीकर केआर रमेश कुमार को अनुच्छेद-190 के तहत विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। पीठ ने कहा कि हम स्पीकर के अधिकारों पर कोई रोक नहीं लगाना चाहते हैं। स्पीकर अपनी सुविधा के अनुसार, विधायकों के इस्तीफे पर फैसला ले सकते हैं।
इस बीच गठबंधन के लिए थोड़ी राहत की खबर तब आई जब एक बागी विधायक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामालिंगा रेड्डी ने अपना इस्तीफा वापस लेने की घोषणा करते हुअ विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में मतदान करने की बात कही। तो वहीं अन्य बागी विधायकों ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे।
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