आज के समय में सभी अपनी मनोकामना को पूरा करवाना चाहते हैं. ऐसे में सभी के मन में बहुत सी मनोकामना होती है जिन्हे पूरा करवाना सभी के बस में नहीं होता है. आप सभी को बता दें कि कहा जाता है भगवान शिव से कुछ भी मांगों तो वह मन्नत जल्द पूरी कर देते हैं. आप सभी को बता दें कि भगवान शिव का वाहन नंदी है और कहते हैं अगर आप भगवान शिव तक अपनी बात पहुँचाना चाहते हैं तो भगवान नंदी को कह सकते हैं.
जी हाँ, आप सभी देखते ही होंगे कि हर शिव मंदिर में शिव के साथ नंदी विराजमान रहता है और शास्त्रों के अनुसार अगर मंदिर में जाकर नंदी के कान में चुपके से कोई मन्नत मांगी जाए तो ये मनोकामना पूरी होती है. जी हाँ, कहा जाता है नंदी के कान में मनोकामना कहते ही वह मनोकामना भोलेनाथ के पास पहुँच जाती है और पूरी हो जाती है. ऐसे में आखिर क्यों कही जाती है नंदी के कान में मनोकामना, आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य.
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार,
”श्रीलाद मुनि एक ब्रह्मचारी थे और उन्हें एक बालक खेत में पड़ा हुआ मिला, वे उसे लेकर अपने आश्रम आ गए और बालक का नाम नंदी रखा. नंदी शिवभक्त था, एक बार दो साधु श्रीलाद मुनि के आश्रम में आए और उन्होंने भविष्यवाणी की कि नंदी अल्पायु हैं और कम उम्र में ही उनकी मृत्यु हो जाएगी. ये जानकर नंदी को दुख हुआ और वो भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए. भोलेनाथ नंदी की तपस्या से प्रसन्न हुए और नंदी को अजर – अमर होने का वरदान देकर उन्हें अपने साथ ले गए. भगवान शिव और पार्वती ने सभी गणों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया. भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी विराजमान होंगे और जो भी व्यक्ति नंदी की पूजा कर उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा उसकी वो मनोकामना पूरी होगी.”
बस यही कारण है कि अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए लोग नंदी के कान में अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं और नंदी उनकी मनोकामना भोलेनाथ तक पहुंचाते हैं और उसके बाद सभी की इच्छा पूरी हो जाती है.