देहरादून: राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वयोवृद्ध आंदोलनकारी 80 वर्षीय मथुरा प्रसाद बमराड़ा (बाबा बमराड़ा) का देर रात दून अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। विडंबना यह कि आखिरी वक्त पर उनके पुत्र के अलावा उनके साथ कोई नहीं था। उनका अंतिम संस्कार तक चंदा जुटाकर किया गया। सीएमओ देहरादून ने एंबुलेंस की व्यवस्था की और पुलिस ने बाकी इंतजाम।
हैरानी की बात यह भी है कि लंबे समय से अस्पताल में भर्ती बाबा बमराड़ा की कुशलक्षेम पूछने कोई नेता या जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा। बाबा बमराड़ा के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार भेजने के लिए भी जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल ने वाहन की व्यवस्था करवाई।
वहीं शहर कोतवाल बीडी जुयाल व कुछ अन्य लोगों ने चंदा जमा कर बाबा बमराड़ा के अंतिम संस्कार के लिए उनके पुत्र की मदद की। बेटे हेमेंद्र बमराड़ा ने बताया कि वह पिछले 15 माह से अस्पताल में भर्ती थे। बाबा बरमाड़ा 13 जून 2016 को शहीद स्थल पर आमरण अनशन पर बैठे थे। राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा और राज्य के मुद्दों को लेकर उनकी लड़ाई अंतिम समय तक जारी रही।
शहीद स्थल में उनका आमरण अनशन जीवन की अंतिम लड़ाई थी। इसके बाद उन्हें दून अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां ढाई माह से ज्यादा समय तक वह अनशन पर रहे और सिर्फ ग्लूकोज के सहारे इस लड़ाई को जारी रखा।
बता दें कि राज्य आंदोलनकारी बाबा बमराड़ा का जन्म 1941 में पौड़ी गढ़वाल के घुड़दौड़ी के निकट पंण्या गांव में हुआ था। वह जनसंघ से लेकर उत्तराखंड क्रांति दल व तमाम आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े रहे। कई बार वह जेल गए। कई दिनों तक अनशन किया।
यूं कहा जा सकता कि उन्होंने अपनी पूरी उम्र आंदोलन के नाम कर दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि बाबा बरमाड़ा ने उत्तराखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। उनके निधन को सीएम ने प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति बताया।