जब आप पूरे दिन काम करके सोते हैं तो आपको बहुत गहरी नींद आती होगी और अगले दिन सुबह जल्दी उठना बड़ा मुश्किल होता है।
हालांकि आप जल्दी उटने के लिए अलार्म क्लॉक, स्मार्टफोन आदि का इस्तेमाल करते होंगे। लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब ये अलार्म लगाने के साधन नहीं थे तो लोग कैसे वक्त पर उठते होंगे और उन्हें समय पर कौन उठाता होगा? आज हम आपको इन सवालों के जवाब दे रहे हैं, जिनके जवाब पढ़कर आप भी समझ जाएंगे कि आखिर पहले लोगों का अलार्म कौन होता था।
बता दें कि पहले लोग सुबह जागने के लिए बड़ा ही अजीबोगरीब तरीका इस्तेमाल किया करते थे। पहले लोगों को जगाने के लिए खास लोगों को नौकरी पर रखा जाता था और वो लोगों को जगाते थे। खास बात ये थी कि वो लोगों को एक अलग तरीके से जगाते थे। वो अपने साथ एक लंबी छड़ी रखते थे और इस छड़ी से लोगों के घर की खिड़की पर आवाज कर उन्हें जगाते थे। उस दौरान उन लोगों को नॉकर-अप (Knocker-up) कहा जाता था।
19वीं सदी के शुरुआती सालों तक ब्रिटेन की सड़कों पर सुबह इन लोगों का दिखना आम बात होती थी और लंदन में लोग सुबह की शिफ्ट करते थे, इसलिए वहां यह अधिक संख्या में देखे जाते थे।
वहीं जिस तरह से आप अलार्म में स्नूज का ऑप्सन सलेक्ट कर थोड़ी देर अलार्म को ऑफ कर देते हैं और अलार्म कुछ मिनट बाद फिर बजने लग जाता है और अगर आप उठे नहीं हैं तो आप वापस उठ सकते हैं। लेकिन पहले स्नूज का ऑप्शन नहीं होता था, इसके लिए लोगों को उन्हें खिड़की में आकर बताना होता था कि वो उठ गए हैं।
59 साल के एक आर्टिस्ट ने बीबीसी को बताया कि वो लोग सुबह अपने बैग और एक लंबी छड़ के साथा आते थे और लोगों को जगाते थे। हालांकि 1940 के बाद से ये चलन कम होता चला गया और अलार्म क्लॉक के आ जाने के बाद से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ने इन लोगों की जगह ले ली।