वाशिंगटन। अमेरिका ने वान्नाक्राई साइबर हमले के लिए उत्तर कोरिया को दोषी बताया है। इस साल की शुरुआत में इस साइबर हमले से 150 देशों में करीब 300,000 कंप्यूटर प्रभावित हुए थे। दुनिया भर में अस्पतालों, बैंकों और अन्य कंपनियों में कामकाज ठप हो गया था।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गृह सुरक्षा सलाहकार टॉम बोसर्ट ने कहा कि यह हमला व्यापक था और इसके चलते खरबों का नुकसान हुआ। उत्तर कोरिया सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार है। उत्तर कोरिया करीब एक दशक से अनियंत्रित होकर बुरे काम कर रहा है। उसका द्वेषपूर्ण व्यवहार और प्रबल होता जा रहा है।
वाल स्ट्रीट जर्नल में लिखे लेख में बोसर्ट ने कहा कि हम यह आरोप हल्के में नहीं लगा रहे बल्कि यह प्रमाण पर आधारित है। कंप्यूटर ठप होने से कई लोगों की जान को खतरा हो गया था। ज्ञात हो, वान्नाक्राई साइबर हमले से ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस), स्पेन की टेलीकॉम कंपनी टेलीफोनिका और अमेरिकी लॉजिस्टिक्स कंपनी फेडएक्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे।
बोसर्ट ने कहा,अमेरिका को अन्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर साइबर हमले के खतरे से निपटना चाहिए। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर कोरिया सरकार के इशारे पर काम करने वाले लाजारूस ग्रुप ने कंप्यूटर हैक किया और वान्नाक्राई साइबर हमला किया। सुरक्षा शोधकर्ताओं और अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि लाजारूस ग्रुप ने ही 2014 में सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट को हैक किया था और फाइलों को नष्ट कर दिया था।
‘फिरौती’ वायरस से मचा था दुनिया में हाहाकार’
सुनियोजित तरीके से हुए इस सबसे बड़े साइबर हमले ने दुनिया भर में हाहाकार मचा दिया था। इसमें रैनसमवेयर नामक सॉफ्टवेयर और वान्नाक्राई वायरस का इस्तेमाल किया गया। 100 से अधिक देश इससे प्रभावित हुए। हैकर्स इसके जरिये ऑनलाइन फिरौती लेकर कंप्यूटर को अपने शिकंजे से छोड़ते हैं। हैकर्स ने कुछ भारतीय कंपनियों को भी लपेट लिया था।
क्या है वान्नाक्राई वायरस
यह रैनसमवेयर का खास वायरस है। साइबर हमले के लिए इसी का इस्तेमाल किया गया। इसका पूरा नाम रैनसम:विन32.वान्नाक्रिप्ट. है। यह खासकर माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को निशाना बनाता है।
जी7 सम्मेलन के पहले हमला
इटली में जी 7 देशों फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और जापान के वित्त मंत्री 26 और 27 मई को साइबर हमले से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाने की रणनीति पर चर्चा करने वाले थे। उससे पहले ही हैकर्स ने इस हमले को अंजाम दे डाला था।
विंडोज एक्सपी बना आसान निशाना
ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज एक्सपी वाले कंप्यूटर आसान निशाना बने। माइक्रोसॉफ्ट ने 2015 में विंडोज एक्सपी को तकनीकी सहयोग बंद कर दिया। इससे इस पर वायरस चेतावनी नहीं मिलती और इसे हैक किया जा सकता है। ब्रिटेन के 90% अस्पतालों में विंडोज एक्सपी ही इंस्टॉल है इसलिए हमले के सर्वाधिक शिकार यही अस्पताल हुए।
साइबर हमले से ऐसे बचें
– ईमेल या यूआरएल पर संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।
– अच्छे और बेहतर एंटीवायरस सॉफ्टवेयर और फायरवॉल का इस्तेमाल करें।
– जरूरी फाइलों का बैकअप एक्सटर्नल डिवाइस में रखें।