जेयूडी और एफआईएफ के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को सभी प्रतिबंधित संगठनों के फंड जुटाने के रास्तों को बंद करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई अमेरिका के दबाव में नहीं की जा रही है। पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश के नाते अपने नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपने कर्तव्य निर्वहन के तहत यह कदम उठा रहा है।
उधर, पाक सरकार के जेयूडी और एफआईएफ की संपत्ति जब्त करने संबंधी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए दोनों संगठनों ने कहा, वे मामले को अदालत में ले जाएंगे। जेयूडी के प्रवक्ता याहया मुजाहिद ने ‘द डॉन’ से कहा, लाहौर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट व्यवस्था दी है कि जेयूडी आजाद है। वह पाकिस्तान में अपनी कल्याणकारी गतिविधियां चला सकता है। पाक सरकार भारत के तुष्टिकरण के लिए ऐसी कोशिश कर रही है। जेयूडी को मुंबई हमले के जिम्मेदार लश्कर-ए-ताइबा का मुखौटा संगठन माना जाता है। अमेरिका ने 2014 में इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया है।
सईद के आतंकी नेटवर्क के खिलाफ सरकार का यह पहला बड़ा कदम है। इस नेटवर्क में 300 मदरसे और स्कूल, अस्पताल और एक प्रकाशन संस्था शामिल है। इसके अलावा जेयूडी और एफआईएफ के पास 50 हजार वालंटियर हैं। सैकड़ों लोग उसके लिए काम करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का डर-
पाक सरकार ने 19 दिसंबर को एक बैठक में अधिकारियों ने कहा था कि अगर सईद के खैराती संगठनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो उसे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। जनवरी के अंत में सुरक्षा परिषद की एक टीम पाक का दौरा करने वाली है। यह टीम संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की समीक्षा करेगी। इस टीम ने अगर पाकिस्तान के खिलाफ कोई टिप्पणी की तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
सेना के साथ तनाव की आशंका –
सईद के तथाकथित खैराती संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से सरकार और सेना में तनाव बढ़ सकता है क्योंकि सेना लश्कर सरगना को राजनीति की मुख्यधारा में राजनीति की योजना बना रही है। इस संबंध में पूछे जाने पर सेना की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।