चमोली जिले में समुद्रतल 15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब में भले ही अब बर्फ नाममात्र को रह गई हो, लेकिन अभी भी अटलाकोटी में हिमखंड हेमकुंड की राह रोके हुए हैं। यही नहीं, कोरोना संक्रमण के साथ ही संसाधनों का अभाव भी हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करने की राह में रोड़ा बना हुआ है।
भ्यूंडार घाटी में स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट वैसे तो 25 मई को खोले जाते रहे हैं। लेकिन, शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के कारण इस बार कपाट खुलने की तिथि एक जून कर दी गई थी। हालांकि, फिर बढ़ते कोरोना संक्रमण और भारी बर्फबारी के चलते इस फैसले को टाल दिया गया। कहा गया कि कोरोना संक्रमण पूरी तरह खत्म होने पर ही धाम के कपाट खोले जाएंगे। अब जबकि प्रदेश सरकार ने कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार देशभर से यात्रियों को चारधाम आने की अनुमति दे दी है तो हेमकुंड यात्रा को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।
हेमकुंड साहिब की वर्तमान परिस्थितियों पर नजर डालें तो वहां बर्फ पिघलने के बाद स्थिति सामान्य है। हालांकि, हेमकुंड पैदल मार्ग पर अटलाकोटी में अभी भी भारी-भरकम हिमखंड पसरा हुआ है। इससे सौ मीटर से अधिक की राह पूरी तरह अवरुद्ध है। इसके अलावा धाम और पैदल रास्ते पर मरम्मत कार्य भी नहीं हुए। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जाने के लिए 19 किमी का सफर पैदल या घोड़ा-खच्चर से तय करना पड़ता है। इस पूरे रास्ते में अभी पेयजल व शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है।
कोरोना संक्रमण के भय से स्थानीय दुकानदार भी अपने प्रतिष्ठान खोलने को तैयार नहीं हैं। इन हालात में श्री गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब प्रबंधक कमेटी फिलहाल यात्रा पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही। कमेटी के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह कहते हैं कि प्रदेश सरकार से हेमकुंड साहिब यात्रा को लेकर अभी तक कोई गाइडलाइन नहीं मिली है। अगर ऐसी कोई गाइडलाइन जारी होती है कमेटी और सरकार के मध्य वार्ता के बाद यात्रा शुरू करने पर निर्णय लिया जाएगा।
लोकपाल लक्ष्मण मंदिर में रक्षाबंधन पर्व पर होगी पूजा
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट एक साथ खुलते और बंद होते हैं। यही वजह है कि अभी तक लोकपाल के कपाट भी नहीं खुल पाए। इसी को देखते हुए भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों ने रक्षाबंधन पर्व पर लक्ष्मण मंदिर में पूजा-अर्चना का निर्णय लिया है। इन दिनों पूजा की तैयारियां चल रही हैं। लोकपाल भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों के ईष्ट देव भी हैं।