उन्होंने कहा कि देश में मदरसे कट्टरपंथियों द्वारा प्रेरित और संचालित हैं। जिन्हें खुद धर्मशास्त्र का ज्ञान नहीं है, वह अपने गलत विचारों से वहां पढ़ने वाले बच्चों के कोमल दिमागों पर गलत प्रभाव डालते हैं।
मदरसा शिक्षा पद्धति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि आज तक कितने मदरसों से डॉक्टर, इंजीनियर और आईएएस निकले हैं? लेकिन कुछ मदरसों ने आतंकी जरूर बनाए हैं।
कट्टरपंथियों पर हमला बोलते हुए कहा कि कट्टरपंथी मुल्ला मुस्लिम बच्चों को सिर्फ धर्म की शिक्षा देकर उन्हें सामान्य शिक्षा से दूर कर रहे हैं। मदरसे में जो शिक्षा दी जा रही है, उसका स्तर बहुत ही सतही स्तर का है। ऐसी शिक्षा से निकले बच्चे सर्व समाज का हिस्सा न बनकर कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहे हैं।
वसीम रिजवी ने पत्र में करीब 27 बिंदुओं के जरिए मदरसा शिक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए उसे खत्म करने की अपील की है। इतना ही नहीं उन्होंने मदरसों को होने वाली फंडिंग पर भी कुछ तथ्य रखे हैं।
उन्होंने कहा कि देश के ज्यादातर मदरसे जकात के पैसे से चल रहे हैं, जोकि पाकिस्तान, बांग्लादेश से आ रहा है। आतंकी संगठन भी इसके जरिए यहां के कुछ मदरसों को पैसा भेज रहे हैं। इसकी जांच की जानी चाहिए।