अत्याधुनिक उपकरण ‘वर्स’ रेल पटरियों का तापमान बताएगा। इससे ट्रैक के ठंड में सिकुड़ने और गर्मी में फैलने का पता चल सकेगा। इससे पटरी चटकने (फ्रैक्चर) और ट्रेन डिरेल होने की घटनाएं रुकेंगी। अलर्ट मिलते ही रेल लाइनों का मेंटीनेंस किया जा सकेगा। पूर्वोत्तर रेलवे में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटरियों का तापमान नापने के लिए लगाया गया उपकरण ‘वर्स’।
पूर्वोत्तर रेलवे ने पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस उपकरण का प्रयोग वाराणसी मंडल में शुरू किया है। बनारस-माधोसिंह रेल प्रखंड पर भुल्लनपुर, हरदत्तपुर और राजातालाब स्टेशनों पर इसका ट्रॉयल हो चुका है। एनईआर ने रेलवे उपकरण बनाने वाली फ्रांस की कंपनी पेंड्रोल के साथ करार किया है। कंपनी के विशेषज्ञ वाराणसी मंडल के स्थायी पथ निरीक्षकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। दो दिन पहले लहरतारा स्थित डीआरएम ऑफिस में रेलवे व कंपनी के अफसरों की बैठक भी हो चुकी है।
अभी ट्रैक मेंटेनर के सहारे व्यवस्था पटरियों का मेंटीनेंस व तापमान जांचने की व्यवस्था अभी मैनुअल है। ट्रैक मेंटेनर हथौड़ी व पहाड़ा (बड़ी रिंच) लेकर चलते हैं। इन्हीं उपकरणों से ट्रैक के ग्लूड ज्वाइंट, स्विच एक्सटेंशन ज्वाइंट और पेंडाल क्लिप से तापमान का अंदाजा लगाकर पटरियों को ‘दुरस्त’ रखते हैं।
3 स्टेशनों पर उपकरण का ट्रॉयल हो चुका है
– 40 मीटर दूर तक पटरियों का बताएगा तापमान
ऐसे काम करेगा रेल पटरियों पर यह उपकरण
विशेषज्ञों के अनुसार यह उपकरण हॉर्डवेयर-सॉफ्टवेयर आधारित है। इसमें कम्प्यूटराइज्ड प्रोग्राम इनबिल्ड है। छोटी साइकिल के बराबर का यह उपकरण बक्से में रखा जा सकता है। इसे ट्रैक के पास लगाया जाता है। पटरी के दोनों ओर 20-20 मीटर तक रेल पटरी का तापमान कम या ज्यादा होने पर तुरंत तापमान रिकॉर्ड करेगा और अलर्ट देगा। यह 0.5 डिग्री सेल्सियस का भी अंतर होने पर संकेत देगा।
डीआरएम, वाराणसी, रामाश्रय पांडेय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस उपकरण के प्रयोग से ट्रेनों की संरक्षा (सेफ्टी) में काफी मदद मिलेगी। आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने के लिए यह सिस्टम शुरू किया गया है।