गंगा रक्षा के लिए जल का त्याग करते ही पूर्व प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सांनद को उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया है। उन्हें मातृसदन आश्रम से प्रशासन की टीम ने चिकित्सकों की मौजूदगी में एंबुलेंस से भिजवाया गया है। इससे पहले प्रशासन ने आश्रम और उसके पास धारा 144 भी लागू कर दी थी। प्रो. जीडी अग्सानंद गंगा रक्षा के लिए 22 जून से तप कर रहे हैं। उनकी मांग है कि गंगा पर बन रही विद्युत परियोजनाओं को निरस्त किया जाए और नर्इ परियोजना नहीं बनाने समेत साल 2012 में तैयार किए ड्राफ्ट पर संसद में गंगा एक्ट लाया जाए। मांग पूरी न होने तक सानंद ने अन्न का त्याग कर दिया, जिसके बाद से वो जल, नमक, नींबू और शहद ले रहे थे। मंगलवार देर रात पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक सानंद से बातचीत के लिए पहुंचे। लेकिन बात नहीं बनने पर सानंद ने पूर्व घोषणा के अनुसार मंगलार रात से जल भी त्याग दिया था। इससे प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। बुधवार को उनके जीवन रक्षा का हवाला देते हुए डीएम दीपक रावत के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट मनीष कुमार सिंह और सीओ स्वप्न किशोर पुलिस बल के साथ पहुंचे। पुलिस ने परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती और सांनद से उन्हें उपचार के लिए ऋषिकेश में भर्ती होने का आग्रह किया। शिवानंद ने तो अपनी अनुमति प्रदान कर दी, लेकिन सानंद ने सहमति नहीं जतार्इ। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी डॉक्टर या उपचार की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने भर्ती होने का ज्यादा विरोध भी नहीं किया। जिसके बाद प्रशासन चिकित्सकों की टीम उन्हें ऋषिकेश एम्स लेकर चली गई। इस दौरान सांनद ने कहा कि वह कोई उपचार नहीं लेंगे, उनका तप जारी रहेगा।

अन्न-जल त्याग गंगा रक्षा को तप कर रहे सानंद एम्स में भर्ती

गंगा रक्षा के लिए जल का त्याग करते ही पूर्व प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सांनद को उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया है। उन्हें मातृसदन आश्रम से प्रशासन की टीम ने चिकित्सकों की मौजूदगी में एंबुलेंस से भिजवाया गया है। इससे पहले प्रशासन ने आश्रम और उसके पास धारा 144 भी लागू कर दी थी। गंगा रक्षा के लिए जल का त्याग करते ही पूर्व प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सांनद को उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया है। उन्हें मातृसदन आश्रम से प्रशासन की टीम ने चिकित्सकों की मौजूदगी में एंबुलेंस से भिजवाया गया है। इससे पहले प्रशासन ने आश्रम और उसके पास धारा 144 भी लागू कर दी थी।   प्रो. जीडी अग्सानंद गंगा रक्षा के लिए 22 जून से तप कर रहे हैं। उनकी मांग है कि गंगा पर बन रही विद्युत परियोजनाओं को निरस्त किया जाए और नर्इ परियोजना नहीं बनाने समेत साल 2012 में तैयार किए ड्राफ्ट पर संसद में गंगा एक्ट लाया जाए। मांग पूरी न होने तक सानंद ने अन्न का त्याग कर दिया, जिसके बाद से वो जल, नमक, नींबू और शहद ले रहे थे। मंगलवार देर रात पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक सानंद से बातचीत के लिए पहुंचे। लेकिन बात नहीं बनने पर सानंद ने पूर्व घोषणा के अनुसार मंगलार रात से जल  भी त्याग दिया था।  इससे प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। बुधवार को उनके जीवन रक्षा का हवाला देते हुए डीएम दीपक रावत के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट मनीष कुमार सिंह और सीओ स्वप्न किशोर पुलिस बल के साथ पहुंचे। पुलिस ने परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती और सांनद से उन्हें उपचार के लिए ऋषिकेश में भर्ती होने का आग्रह किया। शिवानंद ने तो अपनी अनुमति प्रदान कर दी, लेकिन सानंद ने सहमति नहीं जतार्इ। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी डॉक्टर या उपचार की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने भर्ती होने का  ज्यादा विरोध भी नहीं किया। जिसके बाद प्रशासन चिकित्सकों की टीम उन्हें ऋषिकेश एम्स लेकर चली गई। इस दौरान सांनद ने कहा कि वह कोई उपचार नहीं लेंगे, उनका तप जारी रहेगा।

प्रो. जीडी अग्सानंद गंगा रक्षा के लिए 22 जून से तप कर रहे हैं। उनकी मांग है कि गंगा पर बन रही विद्युत परियोजनाओं को निरस्त किया जाए और नर्इ परियोजना नहीं बनाने समेत साल 2012 में तैयार किए ड्राफ्ट पर संसद में गंगा एक्ट लाया जाए। मांग पूरी न होने तक सानंद ने अन्न का त्याग कर दिया, जिसके बाद से वो जल, नमक, नींबू और शहद ले रहे थे। मंगलवार देर रात पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक सानंद से बातचीत के लिए पहुंचे। लेकिन बात नहीं बनने पर सानंद ने पूर्व घोषणा के अनुसार मंगलार रात से जल  भी त्याग दिया था।

इससे प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। बुधवार को उनके जीवन रक्षा का हवाला देते हुए डीएम दीपक रावत के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट मनीष कुमार सिंह और सीओ स्वप्न किशोर पुलिस बल के साथ पहुंचे। पुलिस ने परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती और सांनद से उन्हें उपचार के लिए ऋषिकेश में भर्ती होने का आग्रह किया। शिवानंद ने तो अपनी अनुमति प्रदान कर दी, लेकिन सानंद ने सहमति नहीं जतार्इ। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी डॉक्टर या उपचार की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने भर्ती होने का  ज्यादा विरोध भी नहीं किया। जिसके बाद प्रशासन चिकित्सकों की टीम उन्हें ऋषिकेश एम्स लेकर चली गई। इस दौरान सांनद ने कहा कि वह कोई उपचार नहीं लेंगे, उनका तप जारी रहेगा।

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