अन्ना का सुझाव, उम्मीदवार के चेहरे को ही बनाया जाए चुनाव चिन्ह

अन्ना का सुझाव, उम्मीदवार के चेहरे को ही बनाया जाए चुनाव चिन्ह

लखनऊ। चुनाव सुधारों और लोकपाल को लेकर अगले महीने ‘सत्याग्रह’ करने जा रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने सोमवार को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी के चेहरे को ही चुनाव चिन्ह बनाने का सुझाव दिया. हजारे ने सदरौना स्थित मान्यवर काशीराम शहरी आवास कालोनी में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर लोकतंत्र को मुक्त कराना है तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में प्रत्याशी की फोटो को ही चुनाव चिन्ह बनाया जाए.

अन्ना ने सुझाए ये कदम

उन्होंने कहा कि इससे ना सिर्फ चुनाव चिन्हों की नीलामी बंद होगी बल्कि प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद भी जनता के बीच रहने को बाध्य होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी उसे अपने चेहरे की पहचान कराने से ही वोट मिलेगा, इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा. हजारे ने ‘राइट टू रिजेक्ट’ को प्रभावी बनाने और वोटों की गिनती मशीन से करने की मांग करते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र को प्रभावी बनाया जा सकता है. चुनाव प्रणाली में सुधार के बिना ना तो राजनीतिक भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी और ना ही जनहित में कार्य होगा. चुनावी खामी के कारण ही जनता की सरकार बनने के बजाय दल की सरकार बनती है, इसीलिए सरकारें जनहित के बजाय ‘दलहित’ में काम करती हैं.

पहली बार लखनऊ आए हजारे ने कहा कि वह लोकपाल, किसान समस्या और चुनाव सुधार के लिए दिल्ली में 23 मार्च से सत्याग्रह करेंगे. इसके लिए जन जागरण के मकसद से पूरे देश में कार्यकर्ताओं और जनता से मिलकर इन विषयों को बता रहे हैं. इसके तहत आज राजधानी लखनऊ में कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच आए हैं. हजारे दो दिन के उत्तर प्रदेश दौरे पर आए हैं. वह कल सीतापुर में भी एक जनसभा को संबोधित करेंगे.

अन्ना का 23 मार्च को आंदोलन

बता दें कि अन्ना हजारे ने 23 मार्च को दिल्ली में आयोजित आंदोलन में शामिल होने के लिए लोगों का आह्वान किया और कहा कि अगर जेल में जाने को तैयार हों तो दिल्ली में आंदोलन में आएं. अन्ना ने दिसंबर 2017 में यूपी के संभल में किसान सम्मेलन में ऐलान किया था कि दिल्ली में आंदोलन अंतिम होगा. इसमें सरकार को सभी मांगें पूरी करनी होगी नहीं तो आंदोलन में बैठे-बैठे प्राण त्याग दूंगा.

अन्ना ने मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि मोदी सरकार को मौका देने के लिये वह साढ़े तीन साल तक कुछ नहीं बोले, लेकिन सरकार को किसान की नहीं उद्योगपतियों की चिंता है. उसने लोकपाल को कमजोर कर दिया है. मोदी जो कदम उठा रहे हैं उससे लोकतंत्र खतरे में है और देश ‘हुकुम शाही’ की तरफ जा रहा है. पूर्व की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के खिलाफ अभियान चला चुके हजारे ने किसानों की समस्याओं को लेकर 23 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन करने और देश भर में जेल भरो आंदोलन चलाने का ऐलान किया.

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