क्या आप जानते है कि मधुमक्खियों का इस दुनिया को चलाने में कितना बड़ा हाथ है इनके अस्तित्व और सहयोग पर शायद हमने कभी ध्यान ही नही दिया है !
मधुमक्खी से शहद प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक माना जाता है यह संघ बनाकर रहती हैं. प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं. मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं. इनका यह घोसला मोम से बनता है. इसके वंश एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं.
इसके शहद का स्वाद कुछ खट्टा होता है. आयुर्वेदिक दृष्टि से इसका शहद सर्वोत्तम होता है क्योंकि यह जड़ी बूटियों के नन्हें फूलों, जहां अन्य मधुमक्खियां नहीं पहुंच पाती हैं, से भी पराग एकत्र कर लेती हैं. अगर कुदरत ने हमे ये मधुमक्खियां न दी होती तो हमारे पास सूती कपड़े की कमीज और हाथो में कॉफ़ी भी नही होती .
मधुमक्खियां हमारे लिए किस कद्र सहायक है आपने कभी सोचा भी नही होगा . नीचे दी गयी विडियो द्वारा आपको पता चलेगा अगर ये सभी मधुमक्खियां खत्म हो जाए तो उसका हमारे जीवन पर क्या असर पड़ेगा. देखें विडियो !
मधुमख्खियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. उत्तर भारत में ‘भंवर’ या ‘भौंरेह’ कहते हैं. दक्षिण भारत में इसे ‘सारंग’ तथा राजस्थान में ‘मोम माखी’ कहते हैं. ये ऊंचे वृक्षों की डालियों, ऊंचे मकानों, चट्टानों आदि पर विषाल छत्ता बनाती हैं. छत्ता करीब डेढ़ से पौने दो मीटर तक चौड़ा होता है. एक छत्ते से एक बार में 30 से 50 किलोग्राम तक शहद मिल जाता है.
वैसे स्वभाव से मधुमक्खी अत्यंत खतरनाक होती हैं. इसे छेड़ देने पर या किसी पक्षी द्वारा इसमें चोट मार देने पर यह दूर-दूर तक दौड़ाकर मनुष्यों या उसके पालतू पषुओं का पीछा करती हैं. अत्यंत आक्रामक होने के कारण ही यह पाली नहीं जा सकती. जंगलों में प्राप्त शहद इसी मधुमक्खी की होती है.
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