अक्सर लोग सिरदर्द को हल्के में लेते हैं। दर्द शुरू होने पर अधिकतर लोग दवाई लेना ही उचित समझते हैं। कभी कभार नट्स, चॉकलेट सहित कुछ ऐसी चीजें भी होती है, जिसे खाने से सिर में दर्द होने लगता है। ऐसे में घबराहट और कभी कभार तो उल्टियां भी होती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आपको किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है, क्योंकि ये कोई मामूली सिरदर्द नहीं, बल्कि माइग्रेन के लक्षण है।
मरइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जो कुछ विशेष प्रकार के लक्षणों के साथ रोगी को होता है। यह ब्लड वेसल के बढ़ जाने पर होने वाले रासायनिक बदलावों के कारण होता है, जो अलग-अलग लोगों में अलग-अलग कारणों से हो सकता है। इन कारणों को ‘ट्रिगर्स’ भी कह सकते हैं। कई बार माइग्रेन का दर्द घंटों तक ही नहीं बल्कि कई दिनों तक परेशान करता है।
– यदि माता-पिता में से किसी एक को माइग्रेन है तो उनके बच्चों को भी यह समस्या हो सकती है।
– पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में माइग्रेन की समस्या अधिक होती है।
– आमतौर पर 40 साल से कम उम्र के लोगों को माइग्रेन की समस्या अधिक होती है।
माइग्रेन के उपचार के लिए सबसे जरूरी है इसके ट्रिगर्स को पहचानकर इनसे बचाव करना। अलग-अलग लोगों में माइग्रेन के अलग-अलग ट्रिगर्स हो सकते हैं। अगर इनको पहचानकर इनसे बचाव किया जाए तो माइग्रेन का उपचार अधिक आसान हो सकता है।
– किसी विशेष प्रकार की एलर्जी।
– तेज लाइट, शोर या परफ्यूम की तेज गंध से सिरदर्द उठना।
– बहुत अधिक तनाव, धूम्रपान, शराब और देर तक भूखे रहने से भी सिरदर्द।
– पीरियड्स, कंट्रासेप्टिव पिल्स, हार्मोन में बदलाव आदि।
– रेड वाइन या एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूमेट – अजीनोटोयोमोटो) के सेवन से सिरदर्द।
– नट्स, चॉकलेट आदि खाने से सिरदर्द।
– बहुत तेज सिरदर्द के साथ उल्टियां होना।
– काम करने के दौरान सिरदर्द का बढ़ जाना।
– बहुत अधिक घबराहट होना।
माइग्रेन के उपचार के लिए पहले फिजीशियन के पास जाना चाहिए और अगर आराम न मिले तो न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। इसके लिए चिकित्सक आपकी मेडिकल हिस्ट्री के अलावा, सीटी स्कैन, एमआरआई या स्पाइनल टैप जैसे टेस्ट करा सकता है। इसके लिए दो प्रकार की चिकित्सा सामानांतर की जाती है। पहली तो इसके ट्रिगर्स को पहचानकर उनसे बचाव के लिए और दूसरी माइग्रेन के दर्द में आराम के लिए। अगर आपको सिरदर्द की शिकायत अक्सर होती है तो डॉक्टर से परामर्श समझदारी होगी।