अगर आप भी बना रहे हैं घर, तो पहले पढ़ लें ये खबर, कहीं बाद में पछताना न पड़े

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले से शिमला और प्लानिंग एरिया में भवनों का आकार घटेगा।  पहले की अपेक्षा मंजिल तो कम होगी ही, साथ में भवनों का फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) भी घटेगा। प्रदेश सरकार ने प्लानिंग एरिया के कोर और नॉन कोर एरिया में मंजिल नहीं, बल्कि ऊंचाई के हिसाब से भवन के नियम तय किए हैं। अगर आप भी बना रहे हैं घर, तो पहले पढ़ लें ये खबर, कहीं बाद में पछताना न पड़े

अब एनजीटी के फैसले के चलते टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग नए नियम तैयार करेगा। वर्तमान में शहरी क्षेत्र के कोर एरिया में साढ़े अठारह मीटर ऊंचा भवन यानी 4 मंजिल तक भवन बनाने की अनुमति है। इसी तरह, नॉन कोर एरिया में 21 मीटर तक ऊंचाई यानी पांच मंजिल तक भवन बनाने का प्रावधान है। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले से दो मंजिल तक भवन का निर्माण होने से भवन की ऊंचाई अधिकतम 8 से 10 मीटर तक ही होगी। 

ऐसे निकाला जाता है भवन का एफएआर- कोर और नॉन कोर एरिया में प्लाट एरिया को 1.75 से गुना कर जो एरिया निकलता है, उसे भवन की कुल ऊंचाई में विभाजित किया जाता है। इसी हिसाब से प्रति मंजिल में निर्माण करना होता है। लेकिन, अब फ्लोर एरिया को ढाई मंजिल में विभाजित करना पड़ेगा। 

दो भागों में बांटा है शहरी क्षेत्र- हिमाचल के शहरी क्षेत्रों को दो भागों में बांटा गया है। इसमें कोर एरिया और नॉन कोर एरिया शामिल हैं। दोनों में ग्रीन और हेरिटेज एरिया भी शामिल है। वर्तमान में कोर एरिया में एफएआर और साढ़े अठारह मीटर तक भवन की ऊंचाई स्वीकृत है। व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भवन की ऊंचाई 21 मीटर निर्धारित की गई है। कुल मिलाकर साढ़े चार मंजिल तक भवन का निर्माण किया जा सकता है। 

नॉन कोर एरिया में 21 मीटर तक ऊंचा बना सकते हैं भवन- नॉन कोर एरिया में 21 मीटर तक ऊंचा भवन का निर्माण किया जाता है। इस एरिया में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भवन की ऊंचाई भी कोर एरिया के बराबर है। 

हेरिटेज भवनों के साथ छेड़छाड़ नहीं- प्रदेश सरकार ने ग्रीन एरिया में कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा अगर कोर और नॉन कोर एरिया के बीच हेरिटेज एरिया में भवन का जीर्णोद्धार करना है तो उसे उसी आकार में बनाना होगा, जैसा पहले भवन का आकार रहा हो। भवन की ऊंचाई भी पहले जैसी रखनी होती है। इस एरिया में कंस्ट्रक्शन करने की अनुमति आसानी से नहीं मिलती। भवन में आग लगने या फिर खंडहर होने की स्थिति में ही अनुमति दी जाती है। 

प्रॉपर्टी डीलरों पर भी पड़ेगी मार- प्रॉपर्टी डीलरों ने शहरी क्षेत्रों में करोड़ों की जमीनें ले रखी हैं। मुनाफा कमाने के चक्कर में ये रसूखदार दो मंजिल में जमीन की कीमत और चार मंजिला निर्माण का खर्चा निकाल लेते थे, लेकिन नियम बदलने से अब सबसे ज्यादा नुकसान बिल्डरों और प्रॉपर्टी डीलरों को होगा।

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