ऐसा नहीं कि हर बार राज्यसभा की कार्यवाही हंगामें की भेंट चढ़ जाए। इसी हंगामें और विरोध के बीच राज्यसभा में एक रिकॉर्ड भी बन गया है। 15 साल के लंबे इंतजार के बाद मंगलवार (2 जनवरी) को राज्यसभा ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, साल 2002 के बाद राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान 15 सूचीबद्ध तारांकित प्रश्न उठाए गए और सदन में मौजूद सभी 18 सदस्यों ने सदन के शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक महत्व रखने वाले मुद्दों को उठाया। इससे पहले उच्च सदन ने 197 सत्र हुए हैं जिनमें प्रश्नकाल के दौरान सूचीबद्ध सारे प्रश्न नहीं उठाए जा सके थे। लेकिन मंगलवार को राज्यसभा के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में बताया कि कुल सूचीबद्ध 15 रिकॉर्ड सवाल उठाए गए थे और सभी सवालों के जवाब भी दिए गए। प्रश्नकाल के दौरान 20 सदस्यों के नाम सूचीबद्ध किए गए थे उन 20 में से 10 सदस्य अनुपस्थित थे लेकिन राज्यसभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू ने वहां मौजूद सभी सदस्यों को अनुपूरक सवाल पूछने की अनुमति दी जिससे ये संभव हो सका है।
वेंकैया नायडू ने प्रश्नकाल के अंत में कहा कि बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ कि मौखिक प्रश्नों के लिए सूचीबद्ध सभी प्रश्नों को पूछा जा सका है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिन लोगों के नाम से मौखिक प्रश्न सूचीबद्ध था, उनमें से कई लोग आज सदन में मौजूद नहीं थे। सभापति नायडू ने इस पर सदस्यों को सुझाव दिया कि मौखिक प्रश्न काफी तैयारी के बाद बनाए जाते हैं। इसलिए जिन सदस्यों के सवाल हों, उन्हें सदन में प्रश्नकाल के दौरान मौजूद होना चाहिए।
आपको बता दें कि इस दौरान सदस्यों ने कई प्रमुख सवाल जीएसटी फाइलिंग, भारतीय नवीकरण ऊर्जा कंपनियों की खराब रेटिंग, बिटकॉइन, गैर निष्पादित संपत्तियों, क्लीनिकल परीक्षण ड्रग्स और एयर इंडिया के ऑपरेटिंग नुकसान जैसे मुद्दे शामिल हैं। वहीं शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर 11 सदस्यों को सवाल करने की अनुमति दी गई, जबकि अन्य आठ सदस्यों को अनुपूरक प्रश्न पूछने की अनुमति दी गई। सदन के अंत में राज्यसभा में इस इतिहास के बनने पर बधाई देते हुए सदस्यों ने मेजें थपथपा कर स्वागत किया।