नई दिल्ली जब सूर्य अपने भ्रमण काल में बारह राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियो में संक्रमण करता है तब वह मास खरमास कहा जाता हैं। खरमास के दौरान कई शुभ कामों को करने की बंदिशें होती है।
इस काल में विवाह आदि जैसे कार्य नही होते है सिर्फ ईश्वर भजन पूजा पाठ, बुजुर्गो ,गुरुओं की देखभाल की जाती है। इस काल में हवन ,अनुष्ठान, यज्ञ ,पूजा पाठ किया जाना श्रेष्ठफल दायक होता है।पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया की जब सूर्य धनु राशि एवं मीन राशि में संचरण करते है तब वह काल खरमास काल के नाम से जाना जाता है। खरमास काल में केवल धार्मिक कार्य , प्रभू भजन आदि किये जा सकते है। इस वर्ष का अंतिम खरमास 15 दिसम्बर 2016 दिन गुरुवार को रात में 06:05 बजे से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही प्रारम्भ होगा और 14 जनवरी 2017 को दिन में 1 बजकर 51 मिनट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त होगा। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे।
जानें कौन से काम इन दिनों नहीं करने चाहिए।
1. ज्योतिषियों की मानें तो खरमास में विवाह आदि शुभ काम नहीं किए जाते।
2.खरमास में भवन के निर्माण संबंधित कार्य भी नहीं करते।
3. खरमास में नया व्यापार करने की भी मनाही है।
4.बच्चे का मुंडन भी खरमास में नहीं कराना चाहिए।
5.खरमास में ग्रह प्रवेश कराना भी वर्जित बताया गया है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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