भारतीय संस्कृति और धर्म ग्रंथ हमेशा से विदेशियों को प्रभावित करते रहे हैं। ऐसा ही कुछ प्रभाव विश्व विख्यात ग्रंथ भागवत गीता ने वर्ल्ड बैंक के पूर्व डायरेक्टर एवं साउथ अफ्रीका के वर्तमान राष्ट्रपति जैकब जुमा के परिजन हास पाइस जुहून पर छोड़ा है। जुहून ने ग्रहस्थ आश्रम त्यागकर संन्यासी बनने की ठानी और साउथ अफ्रीका से आध्यात्म की खोज उन्हें भारत ले आई। शनिवार को जुहू शिवपुरी के भदैया कुंड स्थित प्राचीन मंदिर पर पहुंचे और यहां विभिन्न् धर्म गुरुओं की उपस्थिति में संन्यास दीक्षा ग्रहण की। इतना ही नहीं जुहून दीक्षा के हास पाइस जुहून जो बन गए संन्यासी सोहम पुरी।
विश्व भर में करेंगे धर्म का प्रचार
संन्यासी बने सोहम का कहना है कि वे विश्व भर में शांति और भाईचारे के लिए धर्म का प्रचार करेंगे। कई देशों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं जुहून हावर्ड यूनिवर्सटी से पीएचडी सहित तमाम डिग्रियां हासिल करने के बाद जुहून ने विश्व के विभिन्न् देशों में महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ रहकर अपनी प्रतिभा का हुनर दिखाया है। बकौल जुहून वे फ्रांस, स्विटरलैंड, यूएन में पेट्रोलियम कंपनी में शीर्ष पदों पर पदस्थ रहे तो वहीं वर्ल्ड बैंक के डायरेक्टर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
पत्नी ने दिया साथ और बन गए संन्यासी
नईदुनिया से खास चर्चा के दौरान जुहून ने बताया कि उन्होंने गीता, बाइबिल, कुरान सहित तमाम धर्म ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है लेकिन वे गीता से खासे प्रभावित हुए। इसके अलावा उपनिषद व वेदों का भी उन्होंने अध्ययन किया। इसके बाद उन्हें लगा कि ग्रहस्थ आश्रम त्यागकर धर्म के प्रचार के लिए संन्यास लेने का वक्त आ गया है और यह विचार जब उन्होंने अपनी पत्नी जूडी जुहून को बताया तो जूडी ने भी न केवल सहमति दी बल्कि उनकी इस मंशा को फलीभूत करने के लिए उनके साथ शिवपुरी भी पहुंची।
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