ये कोई आम बात नहीं अगर आपके भी आसन करते वक़्त आ जाती हैं मोच तो, ये हैं 5 कारन..

क्या आप जिम में वजन घटाने के लिए एकदम से उत्साहित होकर ज्य़ादा वर्कआउट कर बैठते हैं? या फिर स्ट्रेचिंग या कसरत करते वक्त चोट लगने पर भी एक्सरसाइज जारी रखते हैं? अगर आप इनमें से कुछ भी ऐसा कर रहे हैं तो बिलकुल गलत है। चिकित्सक के अनुसार ज्य़ादा जोर आजमाते हुए कुछ लोग मस्क्युलोस्केलटल इंजरी से पीड़ित हो सकते हैं। आजकल क्लिनिक में भी वर्कआउट इंजरी के बहुत से मामले देखने को मिल रहे हैं। हाल के वर्षों में तो जिम में एक्सरसाइज करने का ट्रेंड चल निकला है। यह आज की जरूरत भी है, इसीलिए जो भी वर्कआउट करें, अपने ट्रेनर या किसी एक्सपर्ट की मदद से ही करें।

होती है ये समस्याएं

आजकल तेजी से विकसित होते शहरी लाइफस्टाइल और व्यायाम की गलत पद्घतियों के कारण मसल या लिगमेंट इंजरी, बार-बार होने वाली स्ट्रेस इंजरी, कार्टलिज टियर्स, टेंडनाइटिस जैसी आम इंजरी बढऩे लगी है। इसके अलावा जिम में मसल पुल और खिंचाव, शिन स्प्लिंट, नी इंजरीज, कंधे की इंजरी और कलाई में मोच आना शामिल है। एक्सपर्ट ट्रेनर्स की हिदायत के बावजूद जुनूनी युवा स्मार्ट लुक पाने के लिए अपने शरीर के साथ ज्य़ादती कर बैठते हैं।

वर्कआउट संबंधी इंजरीज

जिम में एक्सरसाइज करते वक्त शरीर के कई हिस्सों में चोटें लगना आम बात है। ऐसे में शरीर के किस हिस्से में किस प्रकार की चोटें लगती हैं, जानें-

कंधा

कंप्यूटर पर देर तक काम करने के चलते ज्य़ादातर लोगों के कंधों में खिंचाव आ जाता है। इसलिए एक्सपट्र्स अधिक समय तक एक ही पोस्चर में बैठने को मना करते हैं और थोडी-थोडी देर में सीट से उठने को भी कहते हैं। अगर आप प्रशिक्षण के बिना अपनी मांसपेशियों पर ज्य़ादा जोर डालते हैं तो कमजोर मांसपेशियां अकड सकती हैं। मांसपेशियों के समूह रोटेटर कफ कहलाते हैं, जिनसे मूवमेंट नियंत्रित होता है और जोडों को स्थिरता मिलती है। इसके अलावा कंधे के दर्द का एक बडा कारण रोटेटर कफ मसल हड्डियों की संरचना के बीच अन्य सॉफ्ट टिश्यू में कंप्रेशन या घर्षण होना है। इसे ही शोल्डर इंपिंजमेंट कहा जाता है।

घुटना

घुटने में मोच वर्कआउट इंजरी की एक आम समस्या है। यह अकसर जोडों के अति इस्तेमाल के कारण होता है। टे्रडमिल्स का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोगों को नी इंजरी होने का खतरा रहता है। ट्रेडमिल्स के कारण घुटने पर ज्य़ादा जोर पडता है क्योंकि इससे संपर्क के एक ही स्थान पर अत्यधिक दबाव पडता है। वहीं जमीन पर दौड लगाने से घुटने को ज्य़ादा आसानी होती है क्योंकि यहां आपको मशीन की क्षमता के अनुसार नहीं चलना पडता है। घुटनों के जोडों के ऊपर कार्टलिज और लिगमेंट्स अत्यधिक दबाव के कारण बार-बार स्ट्रेस इंजरी का शिकार हो जाते हैं। कार्टलिज का नुकसान ज्य़ादा खतरनाक होता है क्योंकि इसकी मरम्मत नहीं हो पाती।

लोअर बैक

वेट लिफ्टिंग का लोअर बैक पर ज्य़ादा असर पडता है। यदि आप बहुत ज्य़ादा वजन उठाते रहते हैं तो लोअर बैक की मांसपेशियों में इंजरी और इनफ्लेमेशन हो सकता है। कई मामलों में भारी वजन उठाने पर स्लिप डिस्क का भी खतरा रहता है।

टख्खने की मोच

यह समस्या एथलीट्स में अधिक होती है। लिगमेंट्स टिश्यू की ही पट्टियां होती हैं, जो आपकी हड्डियों को एक साथ जोडकर रखती हैं। टखने पर अधिक दबाव या मरोड आपके लिगमेंट को इंजर्ड कर सकता है। जो लोग ऊबड-खाबड सतहों पर टहलते या दौडते हैं, उनमें इस समस्या का खतरा अधिक रहता है। यदि आप वर्कआउट के तहत दौडते या हलकी दौड लगाते हैं तो अच्छी तरह फिट आने वाले जूते ही पहनें और समतल सतह पर ही दौड लगाएं।

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