भगवान तिरुपति बालाजी के बारे में कौन नहीं जानता हैं. इन्हें भारत के सबसे अमीर देवताओं में से एक माना जाता हैं. माना जाता है कि भगवान तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं. ऐसे कहा जाता है कि यदि कोई भक्त कुछ भी सच्चे दिल से मांगता है, तो भगवान उसकी सारी मुरादें पूरी करते हैं.तिरुपति बालाजी मंदिर जितना अधिक अपनी अमीर होने के कारण प्रसिद्ध है.
उतना ही यहां पर चढ़ने वाला खास भोग भी उतना ही लोकप्रिय हैं. इस मंदिर में जितनी भीड़ भगवान की दर्शन करने में लगती हैं. उतनी सी भीड़ यहां पर प्रसाद लेने के लिए लगती हैं. इस महाभोग लड्डू अभी से इतने प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यह परंपरा 300 सालों से लगातार चली आ रही हैं. जिसे भगवान को भोग के रुप में चढाया जाता हैं.
जानिए इस लड्डू में आखिर ऐसा क्या खास हैं. इस पंरपरा की शुरुआत कब हुई.
तिरुपति बाला जी में मिलने वाला लड्डू एक ऐसा लड्डू हैं. जो दुनिया में कहीं और नहीं मिल सकता हैं. इस लड्डू को यहां पर श्रीवारी लड्डू के नाम से जाना जाता हैं. इस लड्डू के बारें में माना जाता है कि श्री वेंकटेश्वर के दर्शन के बाद उनके प्रिय भोग तिरुपति लड्डू लिए बिना दर्शन अधूरा रह जाता है.
इसको ग्रहण किए बगैर आपका दर्शन अधूरा माना जाता हैं.जानकारी के अनुसार माना हैं कि सबसे पहले इस पंरपरा की शुरुआत 2 अगस्त 1715 में शुरू की गई. इसके बाद यह लगातार जारी रही और पिछले 2 अगस्त को इसने 300वें साल में प्रवेश किया. साल 2014 में करीब 9 करोड़ लड्डू श्रद्धालुओं में बांटे गए.
बेसन, चीनी, घी, इलायची औऱ खूब सारे सूखे मेवे डालकर इन प्रसिद्ध लड्डूओं को बनाय़ा जाता हैं. इस मंदिर में रोजाना कम से कम 1.25 लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं.