मुस्लिम महिलाओं के बिना मेहरम के हज यात्रा पर जाने के पीएम मोदी के ऐलान पर भड़के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने विरोध जताया है. AIMPLB के सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल हामिद अजहरी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के बिना मेहराम के हज यात्रा पर जाने का मसला पूरी तरह से धार्मिक है. यह ऐसा मामला नहीं है, जिस पर संसद में कानून बनाया जा सके.
दरअसल, रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब मुस्लिम महिलाएं मेहरम के बिना (किसी पुरुष अभिभावक के बिना) भी हज के लिए जा सकेंगी. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 70 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को अब खत्म कर दिया है. मेहरम पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया है.
इस बार करीब 1300 मुस्लिम महिलाएं मेहरम के बिना हज जाने के लिए आवेदन कर चुकी हैं. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने अल्पसंख्यक मंत्रालय को सुझाव दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऐसी सभी महिलाओं को हज जाने की अनुमति मिले, जो बिना मेहरम के हज जाने के लिए आवेदन कर रही हैं.
मोदी ने कहा, ”आमतौर पर देश में हज यात्रियों के लिए लॉटरी सिस्टम है, लेकिन मैं चाहूंगा कि अकेली महिलाओं को इस सिस्टम से बाहर रखा जाए.” इस दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आश्वासन दिया कि मेहरम के बिना हज यात्रा पर जाने के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं को लॉटरी प्रणाली से छूट दी जाएगी.
केंद्रीय मंत्री नकवी ने ट्वीट किया कि अगले साल बिना मेहरम के हज यात्रा पर सऊदी अरब जाने के लिए एक हजार 300 महिलाओं ने अनुमति मांगी है. इससे पहले हज कमेटी आफ इंडिया की नई नीति के तहत पहली बार बिना महरम महिलाओं को 4 और अधिक के ग्रुप में यात्रा की अनुमति प्रदान की गई थी. इस नई नीति के बाद देश भर से बड़ी संख्या में महिलाओं ने ग्रुप में आवेदन किया.
वहीं, सऊदी अरब में पहले ही से इस संबंध में नियम बनाए जा चुके हैं. सऊदी अरब किंगडम गाइडलाइन के मुताबिक, 45 साल से अधिक उम्र की महिलाएं बिना महरम के एक संगठित समूह के साथ हज तीर्थयात्रा कर सकती हैं. हालांकि उन्हें अपने शौहर, पुत्र या भाई से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) देना होता है.
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