इसका उत्तर हाँ है। कई लोगों की सोच के विपरीत भारत में यह यौन कर्मी होना गए कानूनी नहीं हैI लेकिन इसकी दलाली करना, सेक्स के लिए लोगों को बेचना, किसी से ज़बरदस्ती सेक्स करवाना या कोठे चलाना ज़रूर गैर कानूनी हैI कहने का तात्पर्य यह कि जब तक यह निजी रूप से और आपसी सहमति के साथ किया जाता है, हमारे देश में वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है। हालांकि, सच तो यह है कि यौन श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा वो है जिसे ज़बरदस्ती इस पेशे में धकेला जाता हैI
हां, पुरुष यौन श्रमिक भी होते हैं। लेकिन ज्यादातर कानूनी मामलों में ध्यान महिला वेश्यावृत्ति पर ही केंद्रित रहताI शायद इसलिए क्योंकि वो ज़्यादा प्रचलित और प्रत्यक्ष है। पुरुष यौन श्रमिकों पर कोई निश्चित कानूनी निर्णय नहीं लिया गया है। इसका मतलब है कि पुरुष यौन श्रमिकों के अधिकारों और पुनर्वास के ऊपर बहुत कम ध्यान दिया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि महिला सेक्स श्रमिकों की तरह उनका शोषण नहीं किया जाता या होताI
सुनने में अविश्वसनीय लग सकता है लेकिन बाकियों की तरह सेक्स श्रमिकों को भी अपना जीवन पूरी गरिमा की साथ जीने का अधिकार है और इसलिए यदि किसी ग्राहक ने उनकी सहमति के बिना उनके साथ ज़बरदस्ती यौन संबंध बनाया तो वो उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। लेकिन अगर कोई ग्राहक उनके द्वारा दी गयी सेवाएं प्राप्त करने के बाद उनका भुगतान नहीं करता तो वो यह नहीं कह सकते कि उनके साथ बलात्कार हुआ हैI
सरकार उन महिलाओं को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए बाध्य है, जिन्हें दलालों ने बहला-फुसला कर या ज़बर्दस्ती वेश्यावृत्ति में धकेल दिया हैI अतीत में, केंद्र सरकारों ने ऐसी विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं जिसके तहत पीड़ितों के लिए पुनर्वास गृह स्थापित किए गए हैं। उन्होंने यौन-श्रमिकों को चिकित्सा देखभाल, कानूनी सहायता, व्यावसायिक और शिक्षा प्रशिक्षण इत्यादि भी मुहैया कराये हैं ताकि कोई भी उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उनसे वैश्यावृत्ति ना करा सकेI
वैसे तो यौन कर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकारों ने काफ़ी सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन खुद सेक्स श्रमिकों के समुदाय ने सेक्स वर्कर्स का राष्ट्रीय समूह बनाने के लिए बड़ी पहल की है। अनुमान है कि इसमें 2,00,000 से अधिक सदस्य हैं जो यौन संबंधों में शामिल महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, स्वच्छता और जीवन स्तर के लिए बेहतर कानूनों और उपायों के लिए समय समय पर अभियान चलाते हैं।