हालांकि डेटा मैचिंग जैसी अनिवार्यताएं उसमें बरकरार रखी जाएंगी। इसी महीने वित्त और राजस्व सचिव को करीब 100 अहम सुधारों वाली अपनी सिफारिशें सौंप चुकी कारोबारियों की छह सदस्यीय सलाहकार समिति के सदस्य प्रवीण खंडेलवाल ने बताया, ‘तीन की जगह एक रिटर्न हमारी अहम सिफारिशों में से है। इससे सालाना 37 की जगह अधिकतम 13 या कम से कम 4 रिटर्न भरने की जरूरत रह जाएगी। आज हर पांच दिन पर एक रिटर्न की जरूरत के चलते लोग कंप्लायंस से भाग रहे हैं। प्रोसेस आसान होगा तो रेवेन्यू भी बढ़ेगा।’
टैक्स एक्सपर्ट अशोक बत्रा ने बताया कि हालांकि 1.5 करोड़ टर्नओवर तक सिर्फ तिमाही रिटर्न और 31 मार्च तक सिर्फ जीएसटीआर-1 भरने की छूट मिली हुई है, लेकिन उसके बाद जटिलता कायम रहेगी। सिंगल रिटर्न से सभी टैक्सपेयर्स पर कंप्लायंस का बोझ और लागत सीधे दो तिहाई घट जाएगी।
हालांकि ऐसी आशंका जताई जा रही है कि नए प्रावधान से तकनीकी प्लेटफॉर्म पर बड़े बदलाव की जरूरत होगी और सॉफ्टवेयर्स की प्रोग्रामिंग दोबारा करनी होगी। लेकिन कई एक्सपर्ट इससे इनकार करते हैं। मार्ग-ईआरपी लिमिटेड के एमडी सुधीर सिंह ने बताया, ‘रिटर्न प्रोसेस की आसानी के लिए मार्केट कुछ भी सह लेगा। तीन से एक रिटर्न की व्यवस्था पर कंप्लायंस सॉफ्टवेयर्स में मामूली अपडेट करने होंगे। लेकिन यह मिलने वाली सहूलियत के मुकाबले कोई बड़ी मुश्किल नहीं है। अहम बात यह है कि अब लोगों को चार दिन रिटर्न में नहीं उलझना होगा।’
जानकारों का कहना है कि एक रिटर्न की सूरत में भी सेल्स-परचेज की मैचिंग आसानी से की जा सकती है और इसके लिए तीन रिटर्न की व्यवस्था गैरजरूरी लगती है। अब जब सिर्फ 60-65 पर्सेंट लोग ही रिटर्न भर रहे हैं और राजस्व घट रहा है, सरकार भी इस ओर गंभीर हुई है।