बिजली बिल भुगतान के लिए दिया गया चेक यदि बाउंस होता है तो अब आप आगे से फिर कभी चेक से भुगतान नहीं कर पाएंगे। बिजली कंपनी इस नई व्यवस्था को अगले महीने से लागू करने जा रही है।
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री सुब्रतो रॉय के मुताबिक, हर महीने 80 लाख से 1 करोड़ रुपए का भुगतान कंपनी को चेक से मिलता है। हर जोन में 50 से 100 लोग ऐसे होते हैं, जिनके चेक बाउंस हो जाते हैं। हमने डेटा विश्लेषण किया तो देखा कि कुछ लोग बार-बार ऐसा कर रहे हैं। इसलिए नई व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए कंपनी ने अपने सिस्टम में बदलाव शुरू कर दिया है। चेक बाउंस की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
कंपनी ने आईटी विभाग को निर्देश दिया है कि बिल जनरेट करने वाले सॉफ्टवेयर में ही बदलाव कर दिया जाए। इसके अनुसार सॉफ्टवेयर में ऐसे लोगों का डेटा दर्ज होगा, जिनके चेक पूर्व में बाउंस हुए हैं। इन लोगों के अगले बिल जब बनेंगे तो उसमें चेक से भुगतान का कॉलम ही नहीं होगा।
बिजली कंपनी के पास चेक बाउंस कराने वाले उपभोक्ताओं पर धारा 138 में कानूनी कार्रवाई का अधिकार है, लेकिन कंपनी के लिए यह टाइम खपाने वाली प्रक्रिया बन रहा है। इसमें पहले संबंधित को नोटिस देना। फिर अगली कार्रवाई करना शामिल होता है। कई बार तो छोटी राशि वाले उपभोक्ताओं पर ऐसी कार्रवाई ही कंपनी को महंगी पड़ जाती है।
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